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एडमिशन मैराथन अटकी:50 हजार से ज्यादा सीटें खाली, उच्च शिक्षा विभाग अलॉट नहीं कर रहा, विसंगतियाें के कारण अटके हैं एडमिशन, 50 से ज्यादा कॉलेज भड़के

 

बैठक में 40 से ज्यादा कॉलेजों के प्रतिनिधि शामिल हुए। - Dainik Bhaskar
बैठक में 40 से ज्यादा कॉलेजों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

कॉलेजाें में ऑनलाइन एडमिशन काे लेकर सामने आई तकनीकी खामियाें और विसंगतियाें काे लेकर सुनवाई नहीं हाेने पर छात्राें व प्राचार्याें की नाराजगी सामने आई है। निजी कॉलेज प्राचार्य एसाेसिएशन की बुधवार काे हुई बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के निर्णयाें के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई गई।

साथ ही निर्णय लिया गया कि सात दिन में मांगें नहीं मानी गई ताे 100 से ज्यादा कॉलेज संचालक, प्राचार्य और छात्र भाेपाल जाएंगे। मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांग रखेंगे। बैठक में शिक्षाविद भी पहुंचे। सभी ने कहा कि आज तक एडमिशन में इतनी विसंगतियां कभी नहीं रहीं। इंदाैर में ही 50 हजार से ज्यादा सीटें खाली हैं और एडमिशन लेने वाले छात्राें की संख्या उससे भी ज्यादा है।

11 जुलाई को अंतिम चरण पूरा हाेने के बाद सामान्य कॉलेजों में 25 हजार तो अल्पसंख्यक कॉलेजाें में 27 हजार से ज्यादा सीटें खाली हैं। इस मुद्दे को लेकर भाजपा से जुड़े अनुषांगिक छात्र संगठन एबीवीपी का भी कॉलेजाें काे साथ मिल गया। उसके प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल हुए। एबीवीपी ने भराेसा दिलाया कि उच्च शिक्षा मंत्री व जिम्मेदार अफसराें तक यह मुद्दा रखेंगे।

एसाेसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार झालानी, सचिव डॉ. सचिन शर्मा, शिक्षाविद डॉ. नरेंद्र धाकड़, प्राे. मंगल मिश्रा, डॉ. रमेश मंगल सहित 40 से ज्यादा कॉलेजाें के प्राचार्य व प्रतिनिधि माैजूद थे। वहीं एबीवीपी की तरफ से नीलेश साेलंकी और घनश्याम सिंह चाैहान माैजूद रहे।

  • 88 हजार सीटें ऑनलाइन एडमिशन की
  • 48 हजार सीटें अल्पसंख्यक कॉलेजों की
  • 12 सरकारी कॉलेज हैं इंदौर में
  • 50 से ज्यादा निजी कॉलेज
  • 12 अनुदान प्राप्त कॉलेज इंदौर में
  • 38 अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त कॉलेज

क्या है डिमांड?

ऑनलाइन प्रक्रिया में शामिल कॉलेजाें की मांग

  • सीएलसी राउंड के तहत एडमिशन के अधिकार कॉलेज काे मिलंे। एक माह के लिए दाेबारा सीएलसी राउंड शुरू किया जाए।
  • सीबीएसई 12वीं का रिजल्ट नहीं आया है, इसलिए कम से कम 14 अगस्त तक प्रवेश हाें और सीटें बढ़ाने का भी अधिकार प्राचार्याें काे मिले।
  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व दस्तावेज सत्यापन की बाधाओं काे दूर किया जाए।

अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त कॉलेजाें की डिमांड

  • एक सीट पर अल्पसंख्यक ताे दूसरी पर जनरल कैटेगिरी के छात्राें के प्रवेश की बाध्यता तत्काल हटाई जाए।
  • पिछले साल की तरह ही सीएलसी राउंड की अनुमति दी जाए। सीधे प्रवेश की अनुमति मिले।
  • एक माह के लिए सीएलसी राउंड खुले, एक ही बार में 14 अगस्त तक की अनुमति दें।

किन तकनीकी बाधाओं में अटक गए प्रवेश

  • छात्राें काे कॉलेज अलॉटमेंट के मैसेज नहीं मिल रहे। दस्तावेज सत्यापन तकनीकी कारण बताकर निरस्त हाे रहे हैं।
  • हर राउंड में खाली सीटाें की तुलना में अलॉटमेंट मात्र 20 से 30 फीसदी तक िदया गया।
  • मेरिट में हाेने पर भी कई छात्राें काे पहली-दूसरी पसंद के कॉलेज तक अलॉट नहीं किए गए।
  • सीएलसी राउंड जाे कॉलेज लेवल पर हाेता है, जिसमें अधिकार प्राचार्य का हाेता है, वह दिया ही नहीं।

जिस जीईआर के लिए उम्र का बंधन खत्म, वही घटा, केंद्र सरकार काे देना हाेगा जवाब?
एसाेसिएशन अध्यक्ष डॉ. झालानी और सचिव डॉ. शर्मा ने कहा कि एक तरफ से उच्च शिक्षा विभाग ने जीईआर (ग्रास एनरॉलमेंट रेशाे) बढ़ाने के लिए उम्र का बंधन खत्म किया। दूसरी तरफ इतनी विसंगतियां कर दी हैं कि छात्र परेशान हाे रहे हैं। हर दिन कॉलेजाें में 100 से ज्यादा छात्र पहुंच रहे हैं। उन्हें कहीं प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।

जरूरत पड़ी ताे मुख्यमंत्री से मिलकर इन खामियाें के बारे में बताएंगे। इधर, शिक्षाविद का कहना है कि आज तक एडमिशन काे लेकर इतने बुरे हालात कभी नहीं रहे। कॉलेज बंद हाेने की नाैबत आ रही है। वहीं एबीवीपी के चाैहान ने कहा कि कॉलेजाें व छात्राें की बात उच्च शिक्षा विभाग तक पहुंचाएंगे। सभी मांगें जायज हैं, अगर नहीं मानी गईं ताे दूसरे भी विकल्प भी हैं।

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