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आषाढ़ पूर्णिमा पर हुआ था वेद व्यास का जन्म:बद्रीनाथ धाम के पास है 5300 साल पुरानी व्यास गुफा, यहीं वेद व्यास ने की थी महाभारत की रचना

बुधवार, 13 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इसी तिथि पर द्वापर युग में वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने महाभारत, श्रीमद् भागवत पुराण और अन्य 18 पुराणों की रचना की थी। वेद व्यास की जन्म तिथि पर ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। व्यास गुफा करीब 3200 मीटर यानी 10500 फीट की ऊंचाई पर है। व्यास के पिता ऋषि पाराशर और माता सत्यवती थीं। इनका मूल नाम कृष्णद्वैपायन है। वेद व्यास अष्टचिरंजीवियों में से एक माने गए हैं।

उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से लगभग 4 किमी दूर माणा नाम का एक गांव है। चीन बार्डर के पास ये भारत का अंतिम गांव है। इसी गांव में करीब 5300 साल पुरानी व्यास गुफा है। ऐसा कहा जाता है कि इसी जगह पर वेद व्यास रहा करते थे। हर साल गुरु पूर्णिमा पर यहां हजारों भक्त पहुंचते हैं। व्यास गुफा के पुरोहित पं. हरीश कोठियाल हैं। इनका परिवार ही पीढ़ियों से व्यास गुफा में पूजा कर रहा है।

वेद व्यास ने किया था वेदों का संपादन

वेद व्यास को भगवान विष्णु जी अवतार माना जाता है। प्राचीन समय में केवल एक वेद था। वेद व्यास ने इसी गुफा में वेद को चार भागों में बांटा था। महाभारत और 18 पुराणों की रचना की। बाद में नारद जी की प्रेरणा से श्रीमद भागवत गीता की रचना की। गुफा के बाहर चट्टानों पर किताबों के पेजों की तरह आकृति दिखाई देती है, जिसे व्यास पोथी कहते हैं। स्कंद पुराण में भी व्यास गुफा के बारे में जिक्र आता है।

व्यास गुफा में वेद व्यास जी की प्रतिमा है। गुफा के पास ही नर-नारायण पर्वत हैं। इन्हीं पर्वतों के नीचे बद्रीनाथ धाम भी है। ये पूरा क्षेत्र बद्रीकाश्रम कहलाता है। महाभारत के समय इसी क्षेत्र में पांडवों ने भी कुछ समय गुजारा था।

ये है वेद व्यास के जन्म की कथा

वेद व्यास ऋषि पाराशर और माता सत्यवती की संतान हैं। पहले जन्म एक द्विप पर हुआ था। इन रंग श्याम था। इस वजह से इन्हें कृष्णद्वैपायन नाम मिला था। बाद में सत्यवती का विवाह महाराजा शांतनु से हुआ था। देवव्रत (भीष्म पितामह) शांतनु के पुत्र थे। शांतनु और सत्यवती का विवाह करवाने के लिए देवव्रत ने वचन दिया था कि वे कभी विवाह नहीं करेंगे, ताकि सिर्फ सत्यवती के पुत्र राजा बन सके। इस भीषण प्रतिज्ञा की वजह से इनका नाम भीष्म पड़ा था।

सत्यवती और शांतनु के दो पुत्र थे विचित्रवीर्य और चित्रांगत। कुछ समय बाद शांतनु की मृत्यु हो गई थी। जब विचित्रवीर्य और चिंत्रांगत बड़े हुए तो इनका विवाह भीष्म ने कराया। विवाह के बाद इन दोनों की भी मृत्यु हो गई थी। तब शांतनु के वंश को आगे बढ़ाने के लिए सत्यवती के कहने पर वेद व्यास जी ने विचित्रवीर्य और चित्रांगत की पत्नियों कृपा की। इसके बाद पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म हुआ था।




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