राज्य सरकार आदिवासियों पर विशेष फोकस कर रही है। इसी कड़ी में सरकार नई योजना ला रही है। इसमें आदिवासियों को 75% सब्सिडी पर दो गायें दी जाएंगी। ताकि उनका जीवन स्तर सुधरे और वे दूध उत्पादन से जुड़ सकें। पशुपालन विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। योजना की शुरुआत में सबसे पहले बैगा आदिवासियों को गायें मिलेंगी। शुरुआत डिंडौरी, मंडला से होगी। इसके बाद योजना में सहरिया और भारिया जनजातियों को जोड़ेंगे।
पशुधन विकास निगम के एमडी डॉ. एचबीएस भदौरिया के मुताबिक दो गाय की कीमत करीब सवा लाख रु. होगी। इसमें गायों की मूल कीमत 90 हजार रु., ट्रांसपोर्टेशन का खर्च 8 हजार रु., दवाओं का 2 हजार रु., चारे का 18 हजार रु. तो इंश्योरेंस का 7500 रु. शामिल है। इसमें हितग्राही को करीब 31 हजार रु. देना होंगे, शेष राशि अनुदान में मिलेगी। अगस्त से योजना शुरू की जाएगी।
साहीवाल, थारपारकर, गिर सहित अन्य नस्लों को गायें दी जाएंगी। हिताग्राहियों को गाय पालने की ट्रेनिंग भी मिलेगी। दो गायों के साथ एक बछिया भी दी जाएगी। जिस गाय की बछिया होगी वह दूध दे रही होगी, जबकि दूसरी गाय प्रेग्नेंट रहेंगी। इस तरह से हिताग्राही को लगातार दूध की उपलब्धता रहेगी। गिर गाय एक दिन में 10 से 15 लीटर तक दूध दे देती है।
अभी मवेशी पालन के लिए दो योजनाएं
प्रदेश में मवेशी पालन के लिए अभी दो योजनाएं चल रही हैं। पहली- आचार्य विद्यासागर योजना है। इसमें 8.50 लाख रु. लोन दिया जाता है। लाभार्थी इस रकम से 5 से 10 मवेशी पाल सकते हैं। दूसरी- नंदी शाला। इसमें सरकार 22500 रु. में कृत्रिम गर्भाधान के लिए सांड उपलब्ध कराती है।
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