त्रिनेत्रधारी राजाधिराज भगवान महाकाल का श्रावण मास के पहले दिन भांग से आकर्षक श्रृंगार किया गया। तड़के 4 बजे भस्म आरती के दौरान भांग व चंदन से शृंगारित कर सौम्य आकृति बनाई। भोले बाबा भगवान श्री महाकालेश्वर का राजा के स्वरूप अद्भुत श्रृंगार हुआ। उन्हें पुजारियों ने हल्दी-चंदन आदि लगाकर शृंगारित किया। हर दिन भस्मी रमाने वाले महाकाल के इस अद्भुत रूप के भक्तों ने दर्शन किए तो धन्य हो गए।भस्मी रमाने वाले बाबा महाकाल को पहले जल-दूध, स्नान कराया, इसके बाद दही , शहद और फलों के रस बने पंचामृत अभिषेक पूजन कर भस्मी रमाई।
उज्जैन महाकाल मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में ख़ास है। दरअसल बाबा महाकाल दक्षिण मुखी है और दुनिया भर में भस्म आरती की परम्परा इसी मंदिर में निभाई जाती है। मान्यता है के श्रावण माह में बाबा महाकाल के दर्शन करने से कष्टों का निवारण होता है और महाकाल के आशीर्वाद से मन चाहे इच्छा का फल मिलता है। इसी के चलते दुनिया भर से श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचते है।
गुरुवार को श्रावण माह के पहले दिन महाकाल के मुख पर चंदन का त्रिपुंड तो गले में पुष्पों की माला शोभा बढ़ा रही थी। तरह-तरह के सूखे मेवे का भी श्रृंगार में उपयोग किया जाते हैं। बाबा का यह रूप बड़ा ही मनोहारी होता है। विविध प्रकार के श्रृंगार में भांग सबसे खास माना जाता है।मस्तक पर रजत चंद्र,सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गयी।
फलों और मिष्ठान का भोग लगाया भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गयी। मान्यता है की भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते है।
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