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​​​​​​​इंदौर में एक्ट्रेस दिशा पाटनी बोलीं-हमारी बस खूबसूरती दिखती है, टैलेंट नहीं बॉलीवुड में ज्यादा तवज्जो पुरुषों को मिलती है...

फिल्म के प्रमोशन के लिए इंदौर आईं एक्ट्रेस तारा सुतारिया और दिशा पाटनी ने बॉलीवुड का कड़वा सच बताया। उनके मुताबिक एक्टर और एक्ट्रेस में भेदभाव किया जाता है। कहा तो खूब जाता है कि महिला पुरुष बराबर हैं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पुरुषों को ज्यादा तवज्जो मिलती है। दिशा पाटनी ने कहा, धीरे ही सही, पर बदलाव आएगा। टैलेंट की बात भी की जाएगी, एक दिन यह भी होगा। दोनों एक्ट्रेस अपकमिंग मूवी एक विलेन रिटर्न्स के प्रमोशन के लिए आई हैं। दिशा और तारा  जानिए दोनों ने कैसे बेबाकी से जवाब दिए..

भारतीय फिल्मों में हिरोइन का ऑब्जेक्टिफिकेशन किया जाता रहा है? उनके लिए गॉर्जियस, ब्यूटीफुल कहकर प्रजेंट करते हैं। हीरोज के लिए टैलेंटेड वर्ड यूज करते हैं।

तारा : कहा तो बहुत जाता है कि महिला पुरुष बराबर हैं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि अकसर पुरुषों को ज्यादा महत्व मिलता है। एक्ट्रेसेस के लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें उनके हुनर का जिक्र नहीं होता। बस खूबसूरती का बखान किया जाता है। फिल्मों के जरिए हम इस सोच को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी फिल्म में एक्ट्रेसेस को इक्वल इम्पॉर्टेंस दिया गया है। महिलाओं को लेकर मैं हमेशा से सोचती आई हूं कि उन्हें समाज में वह स्थान वह अधिकार मिलना चाहिए जिसकी वे हकदार हैं।

दिशा : खूबसूरती की तारीफ करना गलत नहीं है, लेकिन खुशी होगी अगर टैलेंट की बात भी की जाए और एक दिन यह होगा भी। धीरे ही सही, पर बदलाव आएगा।

एक्ट्रेस दिशा पाटनी अपनी अपकमिंग मूवी के प्रमोशन के लिए इंदौर आईं।
एक्ट्रेस दिशा पाटनी अपनी अपकमिंग मूवी के प्रमोशन के लिए इंदौर आईं।

एक्ट्रेसेस हों या लड़कियां, सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है। भद्दे कमेंट्स किए जाते हैं। आप यह सब कैसे हैंडल करती हैं?

तारा : मैं, दिशा और इंडस्ट्री की कई लड़कियां ट्रोल हुई हैं। होती रहती हैं। पहले तो बहुत गुस्सा आता था और मैं रिप्लाई भी कर देती थी, लेकिन अब यह सब इग्नोर करना सीख लिया है। मैं सभी लड़कियों से यही कहूंगी कि ये लोग बीमार हैं। इन पर तरस खाइए और अपना काम करते जाइए।

दिशा : हम किसी को इम्प्रेस करने के लिए नहीं जी रहे हैं। इसलिए अपने काम पर ध्यान दें। कई लोग अब भी यही मानते हैं कि औरतें सिर्फ गृहस्थी संभाल सकती हैं। अब जब वे और भी बहुत कुछ कर रही हैं तो तकलीफ हो रही है। मेरे पिता पुलिस ऑफिसर रहे हैं। मेरी बहन आर्मी में है। मेरी परवरिश में ही मुझे ऐसी मानसिकता से डरना घबराना सिखाया ही नहीं गया है। मैं ऐसे लोगों को इग्नोर ही करती हूं, लेकिन जवाब देने का मौका आया तो करारा जवाब भी दूंगी।

तारा सुतारिया भी मूवी एक विलेन रिटर्न्स के प्रमोशन के लिए इंदौर आई हैं।
तारा सुतारिया भी मूवी एक विलेन रिटर्न्स के प्रमोशन के लिए इंदौर आई हैं।

आप खुद को फिट कैसे रखती हैं?

तारा : मैं रेगुलर जिम और योगा करती हूं। फिटनेस के लिए अच्छी डाइट करने के साथ जिम में वेट ट्रेनिंग करती हूं।

दिशा : हेल्दी डाइट और जिम में एक घंटे वेट ट्रेनिंग करती हूं। किक बॉक्सिंग, डांस भी करती हूं। जिमनास्टिक्स सीख रही हूं। हफ्ते में छह दिन वर्कआउट करती हूं और एक दिन चीट डाइट लेती हूं। रेस्ट करती हूं।

एक्टर अर्जुन कपूर ने महिलाओं के लिए रखी अपनी राय

अर्जुन कपूर से भी दैनिक भास्कर से चर्चा की।
अर्जुन कपूर से भी दैनिक भास्कर से चर्चा की।

मैं बहनों के बीच पला-बढ़ा हूं, इसलिए मुझे एक बेसिक अंडरस्टैंडिंग है कि लड़कियों-महिलाओं के साथ किस तरह पेश आना चाहिए, लेकिन किसी को इज्जत देने के लिए, तमीज से पेश आने के लिए यह कतई जरूरी नहीं है कि आपके परिवार में ज्यादातर लोग किस जेंडर के हैं। यह तो परवरिश पर निर्भर करता है। किसी के कपड़ों पर या बाहर निकलने के वक्त पर ऐतराज करने का आपको क्या अधिकार है। ये सब बहाने हैं, इस बात से ध्यान भटकाने के कि हम अपने परिवार के लड़कों को स्त्रियों से बात करने का सलीका नहीं सिखा पा रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि हिंदुस्तान के स्कूल-कॉलेज में इस पर काम किया जा रहा है। समाज हमेशा से पुरुषवादी सोच का रहा है। लड़कियों को तो हम बचपन से हर बात के लिए रोकते-टोकते हैं। लड़कियां पढ़ना चाहें तो कहते हैं शादी ही तो करना है, क्या करोगी इतना पढ़कर। वे महात्वाकांक्षी हों तो रसोई को उनकी दुनिया बना देते हैं। पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों के रोल मॉडल बनें। बच्चे देखेंगे तभी तो सीखेंगे।

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