- युवा प्रत्याशी, स्वच्छ छवि, सरल व्यक्तित्व और उच्च शिक्षित का फायदा मिला
- क्षेत्र 1, जो कि कांग्रेस का गृह क्षेत्र है, भाजपा ने यहां जमीनी स्तर पर काम किया
भाजपा का मजबूत संगठन। 2250 बूथ पर मजबूत टीम। पार्टी का परंपरागत वाेट बैंक ने प्रदेश की सबसे बड़ी जीत की नींव रखी। युवा प्रत्याशी, स्वच्छ छवि, सरल व्यक्तित्व और उच्च शिक्षित का फायदा मिला। 80% से ज्यादा वार्डाें में पार्टी के मजबूत प्रत्याशी उतारे। इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान में लगातार पांच बार नंबर 1 आने से लेकर स्मार्ट सिटी सहित कई उपलब्धियों और 1999 से लेकर अब तक के विकास कार्यों ने जनता का भरोसा बनाए रखा।
शुक्ला के गृह क्षेत्र में मजबूूत रणनीति
क्षेत्र 1, जो कि कांग्रेस का गृह क्षेत्र है, भाजपा ने यहां जमीनी स्तर पर काम किया। बूथ स्तर पर लगातार बैठकें हुई। चूंकि पिछला विधानसभा चुनाव यहां भाजपा 8 हजार से ज्यादा वाेट से हारी थी, इसलिए उस लीड काे कम करना भी चुनाैती थी। सुमित्रा महाजन ने भी घर-घर जाकर वाेट मांगे। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रोड शो के जरिये माहाैल बनाया।
शिवराज का रोड शाे
अंतिम दाैर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान के रोड शाे ने कार्यकर्ताओं काे उत्साहित करने में भूूमिका निभाई। हर विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख नेता व कार्यकर्ता पूरी तरह मैदान में उतरे।
संगठन की सीख व चेतावनी
शुरुआत में कई गुटाें में बंटी नजर आ रही भाजपा के प्रत्याशी को बड़े नेताओं का अपेक्षा अनुरूप साथ नहीं मिल पा रहा था। खाई काे पाटने के लिए भाजपा संगठन मंत्री हितानंद शर्मा खुद कई बार इंदाैर पहुंचे और नेताओं को जुट जाने काे कहा। कुछ नेताओं काे अप्रत्यक्ष चेतावनी भी दी। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी रोड शाे किया।
शुक्ला के घर के बाहर सन्नाटा
नगर निगम चुनाव में करारी हार के बाद जहां भाजपा कार्यालय और भाजपा नेताओं के यहां जश्न का माहौल था। वहीं, कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला के घर के बाहर पूरी तरह से सन्नाटा था। कार्यालय भी बंद था। घर के बाहर सिर्फ गाड़ियां खड़ी हुई थीं। बाकी किसी तरह की कोई हलचल नहीं। इधर, शुक्ला के घर से थोड़ी दूरी पर विनीतिका दीपू यादव के कार्यालय के बाहर जरूर कांग्रेसी जुटे, यहां पर जीत का जश्न मन रहा था।
नए महापौर; जानिए उनकी पर्सनालिटी को, कैसे मैच करते हैं वे इंदौर से...
- बचपन... बचपन से ही माता-पिता की हर बात मानने वाला व्यवहार। बड़े फैसले लेने की बारी आई तो हमेशा चाैंकाया।
- पढ़ाई... लॉ के बाद एमफिल किया। साइबर लॉ में एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी किया। अतिरिक्त महाधिवक्ता के तौर पर सेवाएं देने के दौरान कोर्ट में साथी सीनियर वकील तक मुरीद बन गए।
- संगठन... पढ़ाई छोड़कर संगठन के निर्देश पर पूर्णकालिक कार्यकर्ता के तौर पर गुवाहाटी चले गए। पांच साल वहां रहकर संगठन के लिए काम किया।
- यारों के यार... बात तब की है, जब हम स्कूल की परीक्षा के बाद पातालपानी गए थे। कुंड में हम सभी 12-15 दोस्त उतर गए। एक दोस्त जिनका वजन ज्यादा था, वह भी उतर तो गए, लेकिन वापस चढ़ नहीं सके। ट्रेन भी आने वाली थी। पुष्य ने सभी दोस्तों से कहा, आप लोग ऊपर की ओर चलो, मैं इन्हें लेकर आता हूं। हम सभी पहुंच गए। करीब आधे घंटे बाद वे उन्हें लेकर आए। इस बीच ट्रेन चली गई। तब हम नाराज हुए, लेकिन वे नहीं। इसके बाद सभी पटरी-पटरी पातालपानी से महू तक पैदल आए। इसके बाद बस से इंदौर पहुंचे।
- मददगार... पिता बताते हैं कि एक बार परिवार के साथ हम कहीं घूमने गए। गाड़ी से लौटते वक्त रास्ते में एक शख्स सर्दी से कांप रहा था। पुष्यमित्र की नजर पड़ी तो कुछ आगे जाकर गाड़ी रोक दी। कहा कि मैं पानी की बोतल लेकर आया और फिर स्वेटर व जैकेट दोनों उतारकर उसे दे आया।
- काम का जुनून... जब एबीवीपी में रहे तो कई बार दिन का खाना नहीं खा पाते थे। पांच साल गुवाहाटी में 18-18 घंटे रोजाना काम किया। रात 2 बजे उठकर भी फाइल पढ़ी और कम्प्यूटर पर काम किया। काम के प्रति जिम्मेदारी का यह अहसास ही सबसे बड़ा गुण है जिसने हमेशा एक के बाद एक नई जिम्मेदारी दिलवाने में भूमिका निभाई।
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