रविवार, 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इस दिन से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। विष्णु जी के विश्राम के समय में शिव जी सृष्टि का संचालन करते हैं। इस समय को चातुर्मास कहा जाता है और इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। चातुर्मास में पूजा-पाठ के साथ ही ग्रंथों का पाठ जरूर करना चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक चातुर्मास में बारिश का समय रहता है। बारिश की वजह से मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। इसलिए इन दिनों में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हरी सब्जियां के संबंध में विशेष सावधानी रखें। पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लग जाते हैं, जिनकी वजह से हमारी सेहत बिगड़ सकती है।
चातुर्मास में ऐसी चीजें खाने से बचना चाहिए, जिन्हें आसानी से पचाया नहीं जा सकता है। बारिश के कारण धूप नहीं निकलती है और धूप के बिना हमारा पाचन तंत्र पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता है। इस वजह से बारिश के दिनों में ऐसी चीजें खानी चाहिए, जिन्हें हम आसानी से पचा सकते हैं। पीने का पानी उबालकर पिएंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
चातुर्मास से जुड़ी मान्यताएं
पुराने समय में चातुर्मास के दिनों बारिश की वजह से कहीं जाना-जाना, यात्रा करना आसान नहीं था। उस समय में सड़कें नहीं होती थीं। नदियों पर पुल नहीं होते थे। ऐसी स्थिति में चातुर्मास के दिनों में संत-महात्मा और अन्य लोग यात्रा नहीं करते थे। संत-महात्मा किसी एक सुरक्षित स्थान पर ही रहते थे और वहीं पूजा-पाठ, जप-ध्यान आदि करते थे। इसी परंपरा का पालन आज भी कई संत करते हैं।
देवशयनी एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम करें
इस एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। भगवान को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। प्रतिकात्मक रूप से भगवान विष्णु को विश्राम कराएं। किसी मंदिर में धन और पूजन सामग्री भेंट करें। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन दान करें।
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