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जीत की घुट्‌टी:परिवारवाद, बड़ी उम्र वाले नेता और विधायकों को न कहना; भाजपा में नए तरह का चुनावी अनुशासन

जिसने-जिसे टिकट दिलाया, उसका हाल - Dainik Bhaskar

जिसने-जिसे टिकट दिलाया, उसका हाल

भाजपा की नगर निगम, पालिकाओं, परिषदों में एकतरफा जीत का एक ही फॉर्मूला निकल कर आया है। वो है- चुनाव से पहले विधायकों, नेताओं के रिश्तेदारों, उम्रदराजों को टिकट के लिए न कहना। लेकिन ये फॉर्मूला जबलपुर, छिंदवाड़ा और ग्वालियर में काम नहीं आया।

7 पर जीते, लेकिन 3 हार गए

छिंदवाड़ा-जबलपुर में गैर सियासी चेहरे को उतारना ले डूबा, ग्वालियर में भितरघात भारी

  • भोपाल- ओबीसी सीट पर पार्टी के पास चेहरा नहीं था। कृष्णा गौर का नाम चला, लेकिन विधायक को नहीं लड़ाने पर पार्टी अडिग रही। पूर्व पार्षद मालती राय संगठन के बूते एकतरफा जीत गईं।
  • इंदौर- टिकट की दौड़ में सबसे आगे विधायक रमेश मेंदोला का नाम था लेकिन पार्टी ने इंकार कर दिया। युवा लॉयर पुष्यमित्र भार्गव पर भरोसा करना सफल रहा।
  • जबलपुर- मजबूत दावेदारों को दरकिनार कर संघ से जुड़े डॉ. जितेंद्र जामदार को टिकट दिया। वे सक्रिय राजनीति से दूर थे। जनता ने कोरोना को याद रखकर उन्हें नकार दिया।
  • ग्वालियर- सुमन शर्मा के टिकट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया में बमुश्किल सहमति बन पाई। वे भितरघात का शिकार हो गईं।
  • उज्जैन- भाजपा ने आरक्षित सीट से मुकेश टटवाल को लड़ाया। मंत्री मोहन यादव और स्थानीय नेताओं के एकजुट होने से सीट जीत सके। विवाद के बाद बेहद कम मार्जिन से जीते हैं।
  • खंडवा- पुराने भाजपाई परिवार और पूर्व विधायक हुकुम पहलवान की युवा बहू अमृता यादव पर भरोसा किया। ये टिकट परिवारवाद के हिस्से में आया, लेकिन ओबीसी महिला के कारण कोई विकल्प नहीं था।
  • बुरहानपुर- पू्र्व मेयर माधुरी पटेल को दोबारा टिकट दिया। कांग्रेस की शहनाज के केवल 500 वोट से हारने की वजह ओवैसी की पार्टी के 11 हजार वोट पाना रही।
  • सतना- संघ से जुड़े योगेश ताम्रकार पर विश्वास जताया। सांसद गणेश सिंह के भाई उमेश सिंह तगड़े दावेदार थे। पार्टी ने परिवार में टिकट नहीं देने की गाइडलाइन का पालन किया। सिंह ने साथ दिया। ताम्रकार एकतरफा जीत गए।
  • सिंगरौली- सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम। भाजपा ने ओबीसी चंद्रप्रकाश विश्वकर्मा को मौका दिया। त्रिकोणीय मुकाबले में आप का जादू चला। भाजपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही।
  • छिंदवाड़ा- पार्टी ने असिस्टेंट कमिश्नर से इस्तीफा देकर अनंत धुर्वे को चुनाव लड़वाया। गैर राजनीतिक चेहरों को टिकट भारी पड़ गया। यहां 22 साल बाद कांग्रेस का मेयर बन गया।
  • सागर- संगीता तिवारी को टिकट दिया। सबसे बड़ी चुनौती तीन मंत्रियों के बीच तालमेल बैठाने में पार्टी सफल रही। विधायक शैलेंद्र जैन अपनी बहू निधि के बजाय पार्टी के लिए जुटे।

11 निगमों में नाथ के 5 प्रत्याशी हारे, 3 जीते; वीडी के 2 जीते, जिसने-जिसे टिकट दिलाया, उसका हाल

बड़े नेताओं ने नगर निगमों में अपने लोगों को महापौर के टिकट दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन बड़ी बात है कि रिजल्ट उस हिसाब से नहीं आए। पूर्व सीएम कमलनाथ ने अपने 8 प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन इनमें 3 ही जीते।

सिंगरौली- वीडी-अजय सिंह हारे, केजरीवाल जीते

  • भाजपा- चंद्र प्रताप विश्वकर्मा संगठन
  • कांग्रेस- अरविंद सिंह अजय सिंह राहुल
  • आप- रानी अग्रवाल- अरविंद केजरीवाल

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