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सेल्फ हेल्प:रवैया ही आगे बढ़ाता या पीछे धकेलता है

  • किताबों से जानिए क्यों रवैया हमें जीवन में आगे बढ़ाता या पीछे धकेलता है और कैसे निपटा जाए अपराध बोध से...

जो खुश रहना जानता है वो हमेशा खुश ही रहेगा
हमारा रवैया ही है जो हमें जीवन में आगे बढ़ाता या पीछे धकेलता है। अगर आप बेहद कठिन परिस्थितियों से घिरे हों लेकिन रवैया सकारात्मक है तो खुश रहकर आप उससे बाहर निकल आएंगे। इसके विपरीत नकारात्मक रवैया आपको निराश और बर्बाद कर सकता है। जो खुश रहता है वो केवल तयशुदा परिस्थितियों में खुश नहीं रहता, वो हर परिस्थिति में खुश ही रहता है। (यू कैन हील योर लाइफ)

लोगों के समक्ष अपना सर्वश्रेष्ठ जाहिर करें
जब आप दूसरों के सामने खुद को पेश करते हैं, तो अपने गुण उन्हें बताना चाहते हैं। लोग आपसे मिलकर बहुत जल्दी अपनी धारणा कायम कर लेते हैं। वो इस बात का हिसाब नहीं लगाएंगे कि आपमें कितनी अच्छाइयां हैं। वो केवल आपकी ताकत परखना चाहते हैं। इस स्थिति में आपका अपने सर्वश्रेष्ठ को सभी के समक्ष जाहिर करना बहुत जरूरी हो जाता है। (हाउ टु टॉक टु एनीवन)

विचार ही भावनाओं का संचालन करते हैं
जो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं वो कई तरह के साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं। बिहेवियर साइकोलॉजी पर की गई रिसर्च बताती है कि हमारे विचार ही हमारी भावनाओं का संचालन करते हैं। भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए अपने विचार बदलना जरूरी होता है। इससे प्रतिक्रिया को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। (इमोशनल इंटेलिजेंस)

अपराध बोध वही सच्चा है जिससे सबक लिया जाए
जो लोग लगातार अच्छे काम करते हैं उनसे जब कुछ बुरा हो जाता है तो अपराध बोध महसूस करते हैं। अपराध बोध तब तक व्यर्थ है जब तक इससे हम कोई सबक नहीं लेते। अगर आपके मन में किसी बात को लेकर अपराध बोध है, फिर भी आप सुधार नहीं करते हैं तो इसका होना या न होना बराबर ही है। फिर यह सच्चा नहीं, झूठा अपराध बोध है।
(द पावर ऑफ निगेटिव इमोशन)

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