सीबीएसई ने शुक्रवार सुबह सीबीएसई 12वीं का परिणाम घोषित किया। दोपहर 2.45 तक 10वीं का रिजल्ट भी जारी कर दिया गया। इंदौर के दो स्टूडेंट्स पुनीत कौर होरा और रुद्राक्ष खंडेलवाल ने 12वीं में 99 परसेंट मार्क्स स्कोर किए हैं। जो बात बच्चों और पेरेंट्स के लिए सुकून भरी है वह यह है कि साइंस, ह्यूमेनिटीज़ और कॉमर्स सहित किसी भी स्ट्रीम का एक भी टॉपर किताबी कीड़ा नहीं है। हर टॉपर किसी न किसी कैरिकुलर एक्टिविटी में रहा है। पढ़ाई के साथ इन्होंने क्रिकेट भी खेला, टीवी भी देखा, डांस भी किया और फैमिली फंक्शंस में भी शामिल हुए। दूरी बनाई तो मोबाइल और सोशल मीडिया से। एक और बात जो सुखद है, वह यह कि डॉक्टर इंजीनियर के सालों के चले आ रहे लक्ष्य इनकी मंजिल नहीं है। इंदौर का कॉमर्स टॉपर पॉलीटिशियन बनना चाहता है। साइंस टॉपर आंत्रप्रेन्योर बनना चाहती है। यह नई पीढ़ी बने-बनाए कायदों पर नहीं चल रही। देखे-दिखाए सपने नहीं देख रही। ये अपना नया आसमान बुन रहे हैं। नई परिपाटी बना रहे हैं।
कोई कोचिंग नहीं की, डांस किया, फिल्में भी देखी... बस जो किया टाइम टेबल के मुताबिक किया
पुनीत कौर होरा
स्ट्रीम : कॉमर्स
मार्क्स : 99 %
मां : सुप्रीत कौर होरा, जूलरी बिजनेस
पिता : हरमीत सिंह होरा, बिजनेसमैन
स्कूल : एमरल्ड हाइट्स इंटरनेशनल
मैंने रोज थोड़ा-थोड़ा पढ़ा। जिस समय तय किया था कि पढ़ना है, उस वक्त ईमानदारी से पूरे फोकस से पढ़ाई की। हालांकि घंटों सतत बैठकर मैं आखिरी के एक महीने में ही पढ़ी। उसमें भी एक स्ट्रेच में नहीं पढ़ी। दो घंटे पढ़ती फिर 10 मिनट वॉक करती। 15 मिनट डांस या जुम्बा करती। मुझे डांस का शौक है। सालभर की कंसिस्टेंसी और आखिर के तीन महीने की जमकर तैयारी ने मुझे टॉप पोजीशन तक पहुंचाया। मैं नोट्स बनाकर पढ़ी। किताबों में भी नोट्स लिखे। जहां जो पॉइंट इम्पॉर्टेंट लगा, उसे वहीं शॉर्ट में लिख दिया, ताकि रिवाइज करने में आसानी रहे। मेरी किताबों रंगीन हैं जैसे स्टोरी बुक्स हों। आखिरी के महीने में तो कोर्स भी कहानी ही लगने लगा था। मैं नेमॉनिक्स बनाकर पढ़ती थी। जूनियर्स ने मेरे नोट्स और किताब रिजल्ट आने से पहले ही बुक कर लिए और ले भी गए। नेमॉनिक्स यानी कोई भी ऐसी मजेदार बात जिसके जरिए आप चार पॉइंट को सीक्वेंस में याद रख सकें। जैसे फाइनेंशियल रिपोर्टिंग में आरपी आरपी डॉन। आर यानी रिस्पॉन्सिबिलिटी, पी यानी पब्लिक डोमेन। इस तरह हर वर्ड से एक वर्ड जु़ड़ा है।
कथक और फ्रेंच में डिग्री भी है टॉपर के पास
पुनीत ने कथक की विधिवत शिक्षा ली है और उसकी शुरुआती डिग्री भी है उनके पास। फ्रेंच लैंग्वेज की भी A2 डिग्री की हैं उन्होंने। पुनीत ने बताया - जहां याद करने की बात आती थी मुझे दिक्कत आती थी। इसलिए मैंने अपने नोट्स बनाए। रेफरेंस बुक्स से भी पढ़ी। एससी शर्मा और टीएस ग्रेवाल की बुक्स से काफी मदद मिली। ग्रेवाल मेरी फेवरेट है। मैंने पांच साल के पेपर भी सॉल्व किए। सोशल मीडिया से दूरी बनाई ताकि डिस्ट्रैक्शन न हो।
आंत्रप्रेन्योर बनकर खुद का प्रोडक्ट लॉन्च करना चाहती हूं
मैं आंत्रप्रेन्योर बनना चाहती हूं। पापा का कॉस्मेटिक्स और फाइनेंस का बिजनेस है। उनकी मदद करना चाहती हूं क्योंकि मेरे भैया जयदीप होरा आईटी में हैं और डेलॉइट कम्पनी में जॉब करते हैं। मैं पापा की मदद करूंगी। फिर अपना भी कोई यूनीक प्रोडक्ट बनाकर लॉन्च करूंगी।
अकाउंट्स पढ़ने के साथ समय की अकाउंटिंग भी की, पॉलिटीशियन बनकर सिस्टम का भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं
रु़द्राक्ष खंडेलवाल
स्ट्रीम : कॉमर्स
मार्क्स : 99 %
मां : रितु खंडेलवाल, गृहिणी
पिता : ब्रजेश खंडेलवाल, बिजनेसमैन
स्कूल : एमरल्ड हाइट्स इंटरनेशनल
सिटी टॉपर रुद्राक्ष खंडेलवाल ने अकाउंट्स सिर्फ पढ़ा नहीं बल्कि अपने वक्त की अकाउंटिंग भी की। मेरी स्टडी टेबल पर तारीख कट्टा रखा होता था जिसमें मैं यह नोट करता था कि दिन भर में मैंने कितना समय किस काम में लगाया। इस तरह मैंने टाइम की अकाउंटिंग की। मैं रोज़ थोड़ा-थोड़ा पढ़ा। किताबी कीड़ा तो मैं कभी नहीं रहा। दो घंटे क्रिकेट खेला। टीवी भी देखा। फैमिली फंक्शंस में भी गया। रुद्राक्ष की मां रितु खंडेलवाल ने बताया कि रुद्राक्ष ने लाइफ इंजॉय करते हुए पढ़ाई की। इसके एग्जाम के आखिर के महीनों में मेरे पिता को कैंसर डिटेक्ट हुआ और उनका ट्रीटमेंट इंदौर में ही चल रहा था। घर पर रिश्तेदारों का आना जाना औश्र अस्पताल की भागदौड़ भी लगी रही। रुद्राक्ष ने उस वक्त भी खुद को स्टडी रूम में बंद नहीं किया। परिवार के साथ रहा और फिर भी बहुत अच्छे मार्क्स से पास हुआ।
नोट्स कभी नहीं बनाए, एनसीईआरटी बुक्स से ही पढ़ा
रुद्राक्ष ने बताया कि उन्होंने एनसीईआरटी बुक्स से ही पढ़ाई की। न रैफरेंस बुक्स इस्तेमाल की न ही नोट्स बनाए। बोले - नोट्स बनाने में बहुत टाइम वेस्ट होता है। सालभर तो नहीं लेकिन आखिरी के तीन महीनों में मैंने सोशल मीडिया पर अपने सारे अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिए थे।
पेरेंट्स चाहते हैं आईएएस अफसर बनूं, पर नेता उन्हें कुछ करने नहीं देते इसलिए मैं नेता ही बनूंगा
रुद्राक्ष फिलहाल सीए की तैयारी कर रहे हैं और फाउंडेशन का अटेम्प्ट भी दे चुके हैं लेकिन उनकी ख्वाहिश पॉलिटीशियन बनने की है। वे बोले कि मैं सिस्टम का करप्शन दूर करना चाहता हूं। यह बात पेरेंट्स को बताई तो वे बोले आईएएस ऑफिसर बनो, पर सिविल सर्वेंट्स कुछ अच्छा करना भी चाहें तो नेता करने कहां देते हैं। इसलिए मैं एक अच्छा पॉलिटीशियन बनना चाहता हूं ताकि जो सोशल चेंज हम सालों से लाना चाहते हैं वह लाने में योगदान दे सकूं।
सौम्या मेहता
ह्यूमेनिटीज टॉपर- 98.6%
सत्य साईं विद्या विहार
जनसेवक बनना है मुझे
मैंने 12वीं में आर्ट्स इसीलिए चुना कि मैं खुद को किसी एक क्षेत्र में सीमित नहीं करना चाहती थी। आगे जाकर मैं एक जनसेवक बनना चाहती हूं फिर चाहे आईएएस बनकर या किसी और तरह से। 12वीं के बाद मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी या बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करना चाहती हूं।
प्रीशा शिंदे
बायोलॉजी टॉपर- 98.4%
सेंट रेफियल्स स्कूल
डॉक्टर बन लोगों की दुआएं लूंगी
मैं जब छोटी थी तब अपने डॉक्टर नाना के साथ उनके क्लिनिक पर जाया करती थी। जिस तरह से वो लोगों की मदद करते थे और उनकी दुआएं मिलती थी वो देखकर लगा कि मुझे डॉक्टर बनना चाहिए। मैंने इस सफलता के पीछे रोजाना 2 से 3 घंटे ही पढ़ाई की और अपनी क्लासेस रेगुलर अटैंड की।
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दक्ष गुप्ता
पीसीएम टॉपर, 98.4%
एडवांस्ड एकेडमी
कोई लेक्चर मिस नहीं किया
मैंने जेईई मेंस के पहले अटेम्प्ट में 99.65 परसेंटाइल हासिल किए हैं। 12वीं की तैयारी में स्कूल के नोट्स रिवाइज करता था। एनसीईआर बुक्स पढ़ता था। मैंने स्कूल में कोई भी लेक्चर मिस नहीं किया। अपने बचे हुए समय में एक्सरसाइज सॉल्व करता था। रीफ्रेश होने के लिए मूवी भी देखी और दोस्तों से भी मिला।
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