Header Ads Widget

Responsive Advertisement

कामिका एकादशी का महत्व:इस दिन भगवान विष्णु के शंख और चक्रधारी रूप की पूजा का विधान, उपवास से मिलता है गौ दान का पुण्य

कामिका एकादशी पर शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है। भीष्म पितामह ने नारदजी को इस एकादशी का महत्व बताया है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस एकादशी की कथा सुनने से ही वाजपेय यज्ञ का फल मिल जाता है।

भीष्म कहते हैं कि व्यतिपात योग में गंडकी नदी में और सूर्य-चन्द्र ग्रहण के दौरान स्नान करने से जितना पुण्य मिलता है। उतना ही महापुण्य सावन महीने में आने वाली कामिका एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से मिल जाता है। इस दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान बताया गया है।

उपवास से मिलता है गौ दान का पुण्य
पितामह ने बताया कि पूरे साल भगवान विष्णु की पूजा न कर सकें तो कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए। इससे बछड़े सहित गौदान करने जितना पुण्य मिल जाता है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से सभी देवता, नाग, किन्नर और पितरों की पूजा हो जाती है। जिससे हर तरह के रोग, शोक, दोष और पाप खत्म हो जाते हैं।

व्रत करने से मिलता है स्वर्ग
कामिका एकादशी के व्रत के बारे में खुद भगवान ने कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फायदा मिलता है उससे ज्यादा फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इस दिन व्रत करने से मनुष्य को यमराज के दर्शन नहीं होते हैं। बल्कि स्वर्ग मिलता है। जिससे नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते।

दीपदान का पुण्य
भीष्म ने नारदजी को बताया कि कामिका एकादशी की रात में जागरण और दीप-दान करने से जो पुण्य मिलता है। उसको लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं। एकादशी भगवान विष्णु के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। जो ऐसे दीपक लगाता है उसे सूर्य लोक में भी हजारों दीपकों का प्रकाश मिलता है। ऐसे लोगों के पितरों को स्वर्ग में अमृत मिलता है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ