जन्माष्टमी पर ग्वालियर के गोपाल मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण ने 100 करोड़ के गहने पहने हैं। सिंधिया रियासत के समय के इन गहनों में सोना, हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं। यह गहने एंटिक हैं। मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो गया। रात 12 बजे कृष्ण जन्म तक भक्त भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
फूल बाग चौराहे के पास स्थित गोपाल मंदिर में तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। यहां करीब 200 जवान तैनात किए गए हैं। सादा वर्दी में भी सुरक्षा अमला तैनात है। गेट पर ASP व CSP स्तर के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही पूरा परिसर मेटल डिटेक्टर, CCTV कैमरों की निगरानी में है।
माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी मंदिर की स्थापना
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। हर साल जन्माष्टमी पर इन जेवरातों से राधा-कृष्ण का शृंगार किया जाता है। इस स्वरूप को देखने के लिए भक्त सालभर का इंतजार करते हैं। यही वजह है कि भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है। इनमें विदेशी भक्त भी शामिल रहते हैं।
नगर निगम हर साल बैंक लॉकर से निकालता है गहने
गोपाल मंदिर में विराजमान राधाकृष्ण के विशेष श्रृंगार के लिए बेशकीमती गहनों को बैंक लॉकर में रखा जाता है। नगर निगम ग्वालियर के पास इनको निकालने व रखने का अधिकार है। जन्माष्टमी से पहले एक समिति बनाई गई थी। जिसने शुक्रवार को इन गहनों को बैंक लॉकर से निकालकर राधा-कृष्ण का शृंगार किया।
साल 2007 से लगातार हो रहा है शृंगार
देश की आजादी से पहले तक भगवान इन जेवरातों धारण किए रहते थे, लेकिन आजादी के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में रखवा दिए गए। जो 2007 में नगर निगम की देखरेख में आए और तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर इन्हें लॉकर से निकाला जाने लगा।
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