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ऐसे होता है सरकारी आदेशों का पालन:रेलवे को 13 गांवों में चाहिए 125 हेक्टेयर, लेकिन सभी गांव में 12000 हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री व डायवर्शन पर लगा दी रोक

चाहिए सवा हेक्टेयर, रोक 1285 पर - Dainik Bhaskar

चाहिए सवा हेक्टेयर, रोक 1285 पर
  • इंदौर-बुधनी रेल लाइन के लिए गांवों को किया फ्रीज, इंदौर की आधा दर्जन काॅलोनियों में भी खरीदी-बिक्री पर रोक

इंदौर-बुधनी प्रस्तावित प्रोजेक्ट के लिए रेलवे को इंदौर के 13 गांव में महज 125 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2022 को इन गांवों के करीब 400 खसरों के अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके बाद जिला प्रशासन को सिर्फ इन 400 खसरों पर रोक लगानी थी, लेकिन 26 जुलाई को अपर कलेक्टर इंदौर ने इन गांवों की पूरी 12 हजार हेक्टेयर जमीनों के डायवर्शन और रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है।

पहले से विकसित शहर की आधा दर्जन टाउनशिप व कॉलोनियों में भी रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। खसरों की सूची भी सौंपी थी रेलवे ने रेल विकास निगम के तत्कालीन मुख्य परियोजना अधिकारी अतुल निगम ने मार्च में प्रशासन को पत्र लिखा था। रेलवे लाइन के चिन्हांकन के बाद गांवों में खरीद-फरोख्त व परियोजना लागत में वृद्धि की आशंका जताते हुए खरीदी-बिक्री पर रोक की मांग की थी। चिन्हांकित खसरों की सूची भी भेजी थी, लेकिन सारी जमीन फ्रीज कर दी गई।

इंदौर-बुधनी रेल प्रोजेक्ट एक नजर में

  • 205 किमी. के इस प्रोजेक्ट की लागत 3262 करोड़ है।
  • 2024 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • प्रोजेक्ट के लिए 50% राज्य सरकार और शेष 50% राशि केंद्र देगा।
  • लाइन के लिए 1600 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा, 500 करोड़ खर्च का अनुमान
  • बनेंगे 33 ब्रिज और 100 से ज्यादा पुल-पुलियाएं, चापड़ा में 7 किमी लंबी सुरंग
  • मांगलिया, खातेगांव, बुधनी से गुजरेगी लाइन।
  • 68 किमी कम होगी जबलपुर की दूरी।

क्या कहते हैं नियम

किसी प्रोजेक्ट के लिए सर्वे कर जमीन का चिन्हांकन किया जाता है। चयनित खसरों का गजट में प्रकाशन होता है। सिर्फ उन खसरों की खरीद-िबक्री या डायवर्शन पर रोक लगाई जाती है, जो प्रोजेक्ट की जद में होते हैं। नियमानुसार मुआवजा तय कर अधिग्रहण पूर्ण होता है।

खसरों की सूची सौंपी ही नहीं

सांवेर व कनाड़िया तहसीलदार एवं पंजीयक को भेजे गए पत्र में अपर कलेक्टर ने कहा है कि कुछ लोग परियोजना को हानि पहुंचा रहे हैं। अनुचित लाभ लेने की नियत से जो रजिस्ट्री और डायवर्सन हुए हैं, उन्हें निरस्त करें। वरिष्ठ पंजीयक को 26 जुलाई से ही इन गांवों की सभी जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगाने को कहा है। पत्र में सिर्फ ग्राम का उल्लेख है। खसरों की सूची न होने से उन जमीनों की रजिस्ट्री पर भी रोक लग गई है, जिनका प्रोजेक्ट से कोई लेना-देना नहीं है।

तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी

इस आदेश के बाद पंजीयक ने सांवेर के 9 और कनाड़िया के 4 गांवों की रजिस्ट्री बंद कर दी है। शहर से लगी आधा दर्जन पहले से विकसित काॅलोनियों में भी खरीदी-बिक्री नहीं हो सकेगी। सुलाखेड़ी में रेल प्रोजेक्ट के लिए सिर्फ एक चौथाई हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण नहीं होना है, लेकिन रोक पूरे गांव के 500 हेक्टेयर रकबे पर लगा दी है। यही स्थिति लॉजिस्टिक हब डकाचिया की भी है। रेलवे का नोटिफिकेशन सिर्फ सवा हेक्टेयर के लिए है, रोक पूरे 1285 पर लग गई है।

प्रशासन ने इन गांवों में लगाई मनमानी रोक

सांवेर तहसील- बीसाखेड़ी ,डकाचिया, कदावली बुजुर्ग, कदावली खुर्द , लसूडिया परमार ,मांगलिया सड़क, मेल कलमा, साहूखेड़ी, सुल्लाखेड़ी गांवों की सभी जमीनों पर।

हमने प्रभावित खसरों की सूची भेजी

प्रोजेक्ट इंचार्ज महेश शावीरकर कहते हैं, हमने प्रशासन को प्रभावित खसरों की सूची भी भेजी है। चिन्हांकन के बाद अनुचित लाभ के लिए, खरीदी-बिक्री बढ़ जाती है, इसलिए रोक की मांग की थी।

हमें सिर्फ गांव की सूची मिली

सांवेर के उप पंजीयक प्रदीप सोरते का कहना है हमें सिर्फ 13 गांव की सूची मिली है। रेलवे लाइन की जद में आ रहे खसरों की सूची अलग से मिलने तक, हम हर तरह की रजिस्ट्री पर रोक लगाने के लिए बाध्य हैं।

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