स्वास्थ्य विभाग में बजट की बंदरबांट कैसे होती है, इसका बड़ा उदाहरण सामने आया है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत शहरी क्षेत्र की स्वास्थ्य संस्थाओं में हाथ धोने के लिए वॉश बेसिन बनाए जाना है। इसके लिए 25-25 हजार रुपए का बजट जारी किया गया है। इंदौर की 23 संस्थाओं की सूची दी गई है।
हद यह है कि सूची में 15 करोड़ की लागत से बने पीसी सेठी और बाणगंगा अस्पताल से लेकर वे डिस्पेंसरी भी शामिल हैं, जिनका नगर निगम 15वें वित्त आयोग से 25-25 लाख में जीर्णोद्धार करने जा रहा है। इन डिस्पेंसरियों में ओटी और इमरजेंसी सेवा नहीं बल्कि सिर्फ ओपीडी है। डॉक्टर सहित बमुश्किल तीन-चार कर्मचारी पदस्थ हैं। जिन 23 अस्पतालों की सूची दी गई है, उनमें से 19 को इसी साल उन्नत सुविधाओं के लिए कायाकल्प अवाॅर्ड दिया गया है। बावजूद अब हैंड वॉश स्टेशन बनाए जाएंगे। हैरानी की बात यह है कि सिविल सर्जन व सीएमएचओ ऑफिस में महिलाओं के लिए ढंग का वॉश रूम नहीं है। कई शिकायत के बाद भी उसके लिए फंड नहीं मिल रहा।
वॉशिंग स्टेशन पहले से है
इस फंड की जानकारी नहीं है। अस्पताल में लेबर रूम, ओटी, ओपीडी में जहां जरूरत है, वहां वॉशिंग स्टेशन बने हैं। नेशनल क्वालिटी एसेसमेंट की गाइडलाइन के अनुसार नर्सिंग स्टेशन व ड्रेसिंग एरिया में वॉश एरिया होना चाहिए, वह बनवा चुके हैं।
-डाॅ. निखिल ओझा, प्रभारी पीसी सेठी अस्पताल
अपग्रेड करने राशि दी हो
भोपाल से इसके लिए सर्वे हुआ था। इस साल की एक्टिविटी में इसे शामिल किया गया है। हैंड वॉशिंग की सुविधा सभी जगह है। हो सकता है कि उसे अपग्रेड करने के लिए यह राशि दी जा रही हो।
- डॉ. एस. सिसौदिया, नोडल अधिकारी अर्बन हेल्थ प्रभारी
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