प्रदेश में प्रशासनिक ढांचा चरमरा रहा है। क्लास-1 और क्लास-2 अफसरों के 40% से ज्यादा पद खाली हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर यह आकंड़ा 45% से 50% है। इसकी बड़ी वजह है- बीते तीन साल से मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) से भर्तियां न होना और पदोन्नति पर रोक लगी होना। यदि सभी संवर्गों की बात करें तो 1.50 लाख पद खाली हैं।
इससे काम करने वाले अफसरों, कर्मचारियों की भारी कमी हो रही है। योजनाएं अटक रही हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर के 873 में से 400 पद खाली हैं। इनमें 130 पद सीधी भर्ती तो 270 पदोन्नति से भरे जाने हैं। यह पहला मौका है जब उच्च प्रशासनिक सेवा में इतनी बड़ी संख्या में पद खाली हुए हैं। वहीं, राज्य पुलिस सेवा में डीएसपी के 1007 में से 337 पद खाली हैं, इनमें 217 पद सीधी भर्ती और 125 पदोन्नति से भरे जाना हैं।
ओबीसी के 27% आरक्षण ने भर्तियां अटकाईं, चयनितों की पोस्टिंग नहीं हो पा रही
- बड़ी संख्या में पद खाली हाेने से सरकार कोर्ट में ओबीसी को दिए जाने वाले 27% आरक्षण के मामले में पहल नहीं कर पा रही है। 2019 की पीएससी की परीक्षा का प्रिलिम्स, मेन, इंटरव्यू हो चुके हैं, रिजल्ट आना बाकी है। कुछ परीक्षाओं में चयनित अफसरों की पोस्टिंग नहीं हो पाई है।
- कोर्ट ने कहा है कि इस परीक्षा में आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट अनारक्षित वर्ग से मेरिट में रहता है तो उसे सामान्य वर्ग में गिना जाएगा।
- आयु सामान्य वर्ग 28, आरक्षित वर्ग 35, कर्मचारियों के लिए 45 साल है। इनमें से आयु सीमा 35 वर्ष का लाभ न लिया हो। इस फैसले को लागू करने के लिए निर्देशों का इंतजार है।
इंटरव्यू, प्रिलिम्स, मेन्स एक... तीनों में आरक्षण को लेकर 70 याचिकाएं
2020 की पीएससी का इंटरव्यू तो 2021 की पीएससी की प्रिलिम्स और मेन्स होना बाकी है। इसमें सिविल सर्विसेस के 289 और फारेस्ट के 63 पद भरे जाना हैं। इन तीनों परीक्षाओं में आरक्षण के मसले को लेकर 60 से 70 पिटीशन तीन साल से हाईकोर्ट में लंबित हैं।
मामला कोर्ट में, सरकार पहल करे
3 साल से पीएससी से भर्ती नहीं हो पा रही है, यह गंभीर है। मामला हाईकोर्ट में है तो सरकार को पहल करना चाहिए, जिससे भर्तियां शुरू हो सकें।
-विवेक तन्खा, राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
0 टिप्पणियाँ