- सागर की लाखा बंजारा झील अब मध्यप्रदेश का गौरव
- 1408 एकड़ की हैदराबाद की हुसैन सागर के बाद 437 एकड़ की लाखा बंजारा झील का भी स्वरूप बदलेगा
देश के कुछ ही चुनिंदा शहर हैं, जहां आबादी के बीचों-बीच झील है। इसमें मप्र के भोपाल के बाद सागर ही ऐसा शहर हैं, जहां 437 एकड़ की लाखा बंजारा झील है। इसके रिडेवलपमेंट का काम लगभग पूरा होने जा रहा है। मप्र की यह पहली ऐसी झील हैं, जिसमें मिलने वाले 41 बड़े-छोटे गंदे नालों को टैप कर 5 एमएलडी (5 करोड़ लीटर) गंदे पानी को ग्रेविटी से झील के बाहर किया है। इसके लिए 5.40 किलोमीटर लंबी पाइप चैनल बनाई है। जिसे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से कनेक्ट किया जा रहा है।
देशभर में कृत्रिम जलाशयों के संरक्षण को लेकर इतने बड़े स्तर पर किए कामों में हैदराबाद की हुसैन सागर झील के बाद सागर की लाखा बंजारा झील का नाम ही आता है। 1408 एकड़ की हुसैन सागर झील में मूसी नदी के गंदे पानी को रोकने के लिए 4 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए हैं। हैदराबाद के प्रोजेक्ट को आंध्रप्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के माध्यम से 100 करोड़ की लागत से पूरा कराया। यह प्रोजेक्ट 2008 में शुरू हुआ था, जिसे पूरा होने में 3 साल का वक्त लगा था। देश का दूसरा झील संरक्षण का सबसे बड़ा प्राेजेक्ट लाखा बंजारा झील सागर का है। इसमें हुसैन सागर से अलग नाला टैपिंग का काम किया है, जाे देश में अब तक किसी भी वाटर बाॅडी के लिए सबसे बड़ा काम है। देश की 100 स्मार्ट सिटी में से सागर स्मार्ट सिटी द्वारा वाटर बॉडी रिडेवलपमेंट के तहत इस प्रोजेक्ट को 92.94 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट में झील के अंदर होने वाले काम जैसे- नालों की टैपिंग, वॉक-वे, इम्बेंकमेंट (तटबंधान), स्टाेन पिचिंग, डिसिल्टिंग का काम पूरा हो गया है। झील के बाहरी हिस्से में होने वालों काम जैसे घाटों का जीर्णोंद्धार, लाइटिंग, लाखा बंजारा की प्रतिमा स्थापना, वॉक-वे का फाइनल लेयर का काम सितंबर तक पूरा करना है। इसके साथ ही झील को भरने वाली मसानझिरी से छोटे तालाब तक की 4 किलोमीटर लंबी फीडर कैनाल का काम भी किया जा रहा है। 2 साल से खाली झील इस मानसून के सीजन में भरना शुरू हो गई है। इसे पूरी तरह भरने में दो बारिश लगेंगी।
इस झील में अब केवल साफ पानी
- 333.83 एकड़ बड़ी झील का क्षेत्रफल
- 104 एकड़ छोटी झील का क्षेत्रफल
झील में आधा मीटर डिसिल्टिंग
झील खाली होने के पहले इसकी वाटर होल्डिंग कैपेसिटी 4.40 लाख घनमीटर थी, जिसमें 0.9 मीटर की गहराई से की गई डिसिल्टिंग के बाद 10 लाख घनमीटर कैपेसिटी बढ़ गई है। यानी झील की 23% वाटर होल्डिंग कैपेसिटी बढ़ी है। छोटी झील में 0.5 मीटर की डिसिल्टिंग की गई है।
यहां यह सबसे अलग
- किसी वाटर बॉडी में मिलने वाले 41 छोटे-बड़े नालों को 5.40 किमी लंबी पाइप लाइन से जोड़कर ग्रेविटी के माध्यम से गंदा पानी बाहर कर दिया।
- 5.20 किमी लंबा वॉक-वे झील के अंदर बनाया, जिससे पूरी झील के चारों तरफ घूम सकते हैं।
गंदे पानी को बाहर करने के लिए नहीं होगा खर्च
झील में अब गंदा पानी नहीं मिलेगा। 5 एमएलडी गंदे पानी को झील के बाहर एसटीपी तक लाने के लिए कोई भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। पूरा पानी ग्रेविटी से बाहर निकल जाएगा।
- राहुल सिंह राजपूत, सीईओ, स्मार्ट सिटी, सागर
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