Header Ads Widget

Responsive Advertisement

विजयवर्गीय खेमे के मुन्नालाल यादव निर्विरोध सभापति चुने गए:कांग्रेस ने वॉकओवर दिया, नहीं उतारा उम्मीदवार, यादव ने संभाला सभापति का पद

 

नगरीय निकाय चुनाव के भाजपा के महापौर पुष्यमित्र भार्गव व 85 में से 64 वार्डों में भाजपा के पार्षद चुने जाने के बाद सोमवार 8 अगस्त को इनका पहला सम्मेलन शुरू हो गया है। इसमें भाजपा के 5 बार के पार्षद और दो बार एमआईसी सदस्य रह चुके मुन्नालाल यादव को निर्विरोध सभापति चुन लिया गया। कांग्रेस ने सभापति निर्वाचन में वॉकओवर दे दिया। यादव ने सभापति बनते ही पदभार संभाल लिया। कांग्रेस के पास सिर्फ 19 पार्षद हैं। इनमें से एक पार्षद जेल में है। ऐसे में भाजपा के उम्मीदवार को वॉक ओवर देना ही कांग्रेस ने बेहतर समझा।

मुन्नालाल यादव के निर्विरोध सभापति चुने जाने पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव व अन्य ने उनका स्वागत किया।
मुन्नालाल यादव के निर्विरोध सभापति चुने जाने पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव व अन्य ने उनका स्वागत किया।

अपील समिति भी निर्विरोध घोषित

इस बार अपील समिति भी निर्विरोध घोषित की गई। इसमें वार्ड 6 की पार्षद संध्या यादव, वार्ड 16 की सोनाली धारकर, वार्ड 85 के प्रशांत बडवे व वार्ड 68 के अयाज बेग (कांग्रेस) को निर्विरोध घोषित किया गया है।

प्रथम सम्मेलन में पार्षदों से परिचय प्राप्त किया गया।
प्रथम सम्मेलन में पार्षदों से परिचय प्राप्त किया गया।

फौजिया शेख की बात शुरू होते ही हंगामा, भाजपा पार्षद बोले सदन में रखना बात

यादव के सभापति बनने के बाद नव निर्वाचित निगम पार्षदों का सम्मेलन शुरू हो गया। सबसे पहले पार्षदों ने अपना परिचय दिया। इस दौरान कांग्रेस पार्षद और पार्टी की ओर से नियुक्त मुख्य सचेतक फौजिया शेख अलीम ने अपना परिचय दिया। वे इसके बाद कुछ कहने लगीं तो भाजपा पार्षदों ने टेबल बजाना शुरू कर दिया। फिर भी वे बोलती रहीं, लेकिन उन्हें कहा गया कि अभी सिर्फ परिचय ही देना है और उन्हें बैठा दिया। उन्हें कहा गया कि यह सिर्फ औपचारिक सम्मेलन है। आप अपनी बात बाद में सदन में रखिए।

न पक्ष न विपक्ष होगा, केवल सहयोगी पक्ष होगा

इस अवसर पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा सभापति मुन्नालाल यादव काफी अनुभवी है। ऐसे ही पार्षद राजेंद्र राठौर, सुरेश कुरवाडे, निरंजनसिंह चौहान सहित कांग्रेस के भी कई वरिष्ठ पार्षद हैं, इन सभी के अनुभव का लाभ हमें कैसे मिलेगा इस बारे में भी सोचे। उन्होंने कहा कि सदन में न पक्ष होगा और न विपक्ष, होगा तो सिर्फ सहयोगी पक्ष। मुझे खुशी है 85 पार्षदों में से 50% नारी शक्ति है।वे घर के कामकाज के साथ जनसेवा से भी जुड़ी हैं। उन्हें नगर की भी चिंता है।

नई महिला पार्षदों को प्रशिक्षण जरूरी : यादव

सभापति मुन्नालाल यादव ने कहा कि सदन में सभी नियमों-कायदों का पालन हो। बैठकें नियमित हो। पार्षद सदन में अपनी बात गरिमा के साथ रखें। सदन का एक-एक मिनिट महत्वपूर्ण होता है, इसका ध्यान भी रखें। सदन राजनीति का अड्‌डा न बने, इसका विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि इस बार 50% महिला पार्षद चुनी गई हैं जिनमें कई नई हैं। मैं महापौर व संगठन से बात करूंगा कि इन्हें नगर निगम कैसे कामकाज किया जाता है, इनका प्रशिक्षण दिया जाए।

नेता प्रतिपक्ष ने सहयोग के साथ दी चेतावनी

नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि नए महापौर ईमानदार व सौम्य हैं। हमें लगता है कि पहली बार ऐसा महापौर मिला है जो हमारी बात सुनेगा। इसके पूर्व जितने भी महापौर रहे उनसे ये ही शिकायतें रही कि वे पक्षपात करते रहे। हम सभी कांग्रेस पार्षद उन्हें पूरा सहयोग करें लेकिन कहीं ऐसा हुआ कि कुछ गलत हो रहा है तो हम सदन में विरोध करेंगे और जरूरी हुआ तो सड़क पर भी उतरेंगे।

इसके पूर्व इस बार चुनाव में भाजपा को जिस तरह से विजय मिली है उसे लेकर सभापति को लेकर पार्टी-संगठन में खासा मंथन हुआ। रविवार को भी पूरे दिन इसे लेकर पार्टी में बैठकों का दौर चला। वन टू वन रायशुमारी के बाद सभापति के लिए सबसे मजबूत नाम कमल वाघेला का आया जिनके नाम पर संघ ने मुहर लगाई थी। अन्य दावेदारों में निरंजनसिंह चौहान गुड्‌डू तथा मुन्नालाल यादव के नाम थे। यादव को वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला का समर्थन है। यादव की वरिष्ठता भी उनका खास आधार है। रविवार देर रात यादव की नियुक्ति के संबंध में भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने पत्र जारी किया।

मुन्नालाल यादव: पांच बार पार्षद, विजयवर्गीय-मेंदोला से नजदीकी यही बनी यादव का मजबूत आधार

मुन्नालाल यादव।
मुन्नालाल यादव।

- विधानसभा-2 के वार्ड 27 से जीते मुन्नालाल यादव अलग-अलग वार्डों से अब पांच बार के पार्षद हैं। इसके साथ ही वे दो बार एमआईसी सदस्य रह चुके हैं।

- यादव की दावेदारी इस मायने में है कि उन्हें विजयवर्गीय व मेंदोला का समर्थन है। - यादव जब दो बार एमआईसी में रहे तो उनके पास तत्कालीन महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा व कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में जल यंत्रालय, रेवेन्यू, बाजार समिति, स्वास्थ्य समिति का प्रभार रहा। यह एक उनका मजबूत अनुभव भी है।

सभापति के लिए रायशुमारी, सभी पार्षदों से वन टू वन चर्चा

इस बार चुनाव में जिस प्रकार महापौर व पार्षदों के नामों का चयन उनके अनुभव, वरिष्ठता, वरिष्ठ नेताओं की सहमति, पार्टी, संगठन और संघ के रायशुमारी के बाद तय हुआ उसी प्रकार सभापति के चयन को लेकर काफी मंथन हुआ। रविवार दोपहर पार्टी कार्यालय पर चुने हुए पार्षदों की बैठक हुई। उसके बाद प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने सभी पार्षदों से वन टू वन चर्चा की। इस दौरान पार्टी के सभी विधायक, पूर्व विधायक, वरिष्ठ नेता आदि उपस्थित थे। सभापति के लिए दावेदार पार्षदों की पृष्ठभूमि के खास आधार के साथ उस क्षेत्र से जुड़े विधायकों व पूर्व विधायकों की भी रायशुमारी ली गई।

राजेंद्र राठौर के दौड़ से बाहर होने के बाद यादव का नाम आगे बढ़ा था
इसके पूर्व विधानसभा दो से वार्ड 32 से चुने गए पार्षद राजेंद्र राठौर का नाम भी सभापति के लिए दावेदारों में था। वे पांच बार के पार्षद हैं तथा उन्हें विजयवर्गीय-मेंदोला का समर्थन है। चूंकि इस बार पार्टी-संगठन ने जो पैरामीटर तय किए हैं, उसमें चूंकि राठौर एक बार निगम सभापति रह चुके हैं इसलिए उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई। इस बीच सभापति के अन्य दावेदारों व राठौर के बीच रायशुमारी भी हुई। इसमें राठौर ने भी खुद इस पद के लिए अपनी सहमति नहीं दी।

कमल वाघेला : संघ के साथ फिर भी नहीं बनी बात

- यह संयोग ही है कि इस बार तीन दावेदारों में कमल वाघेला और निरंजनसिंह चौहान विधानसभा-1 क्षेत्र से हैं। कमल वाघेला पहली बार पार्षद का चुनाव लड़े हैं और वार्ड 11 से जीते हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा से ही बागी हुए मांगीलाल रेडवाल थे जो निर्दलीय चुनाव लड़े थे। रेडवाल खुद इस वार्ड से पांच बार चुनाव (पहले कांग्रेस, फिर भाजपा और फिर निर्दलीय) के रूप में चुनाव लड़े थे और जीते थे। इसके चलते इस वार्ड में जबर्दस्त टक्कर थी जिसमें वाघेला 2900 वोटों से जीते।

- वाघेला का खास आधार उनका संघ से जुड़ा होना है। वे 1981 से 2010 तक संघ में मुख्य शिक्षक से लेकर अलग-अलग पदों पर रहे।

- इसके बाद 2010 से फरवरी 2022 तक भाजपा की नगर इकाई में दो बार महामंत्री रहे। - जनसेवा के तौर पर वे एमवाय अस्पताल से जुड़ी कई संस्थाओं से जुड़े हैं। - उनके नाम को लेकर सीधे तौर पर किसी भी वरिष्ठ नेता की असहमति नहीं थी लेकिन देर रात संगठन ने मुन्नालाल यादव के नाम की मोहर लगाई।

निरंजनसिंह चौहान : पार्टी-संगठन के लिए समर्पण था खास आधार

दूसरे दावेदार में विधानसभा-1 के वार्ड 5 से जीते निरंजनसिंह चौहान थे। उनका यह दूसरा चुनाव था और पहली बार (6300 वोट) जीते। इसके पूर्व उनकी पत्नी सपना चौहान दो बार पार्षद होने के साथ एमआईसी सदस्य रही। इस दौरान उनके पास राजस्व व जन कार्य प्रभार रहा। - चौहान छात्र राजनीति से ही वैष्णव कॉलेज, देवी अहिल्या विवि की कार्य परिषद, युवा मोर्चा आदि में विभिन्न पदों पर रहे। - पिछली बार पार्टी ने उन्हें इंदौर (शहरी) की समर्पण निधि संग्रह की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसमें उन्होंने 3 करोड़ की राशि संग्रहित की। इस बार भी उन्हें जिम्मेदारी दी गई जिसमें उन्होंने दोगुना समर्पण राशि 6.25 करोड़ संग्रहित की जो उनका सबसे मजबूत आधार है। वैसे इसके पूर्व यह जिम्मेदारी विधायक स्तर के नेताओं को दी जाती थी। - उन्हें पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, पूर्व महापौर डॉ. उमा शशि शर्मा, वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं का समर्थन भी मिल चुका था। पार्टी में वाघेला, गुड्‌डू और यादव के नामों पर गहन मंथन के बाद यादव के नाम पर मुहर लगी।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ