द्वापर युग में भाद्रपद शुक्ल अष्टमी पर कंस के कारागृह में देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था। वसुदेव ने बालक कृष्ण को गोकुल में यशोदा और नंदबाबा के बाबा के यहां पहुंचा दिया। इसके बाद गोकुल में बालक के जन्म पर उत्सव मनाया गया था, जिसे नंदोत्सव से नाम से जाना जाता है। आज भी मथुरा, वृंदावन, गोकुल, नंदगांव सहित पूरे क्षेत्र में जन्माष्टमी के बाद नंदोत्सव मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन से यही संदेश दिया है कि जिसने जन्म लिया है, उसके जीवन में समस्याएं आती-जाती रहती हैं, इसलिए हमें हर समस्या को प्रसन्न रहकर हल करना चाहिए।
श्रीकृष्ण को जन्म से लेकर बैकुंठ धाम लौटने तक बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा। भगवान का जन्म कारागृह में हुआ। इसके बाद कंस ने नन्हे कृष्ण को मारने के लिए पुतना, तृणावर्त, बकासुर, अघासुर जैसे कई राक्षस भेजे, कृष्ण ने सभी का सामना किया और पराजित किया।
श्रीकृष्ण थोड़े बड़े हुए तो कंस को युद्ध में हराया। जरासंध को 17 बार पराजित किया। महाभारत युद्ध में पांडवों को जीत दिलाई। द्वारका नगरी बसाई। श्रीकृष्ण ने जीवनभर सारी समस्याओं का सामना प्रसन्न रहकर ही किया। हमें भी हर स्थिति में सकारात्मक रहना चाहिए और प्रसन्न रहकर ही समस्याओं से लड़ना चाहिए। तभी सुख-शांति और सफलता मिलती है।
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