प्रदेश की राजनीति में गहमागहमी का दौर जारी है। रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की इंदौर में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात ने कई तरह अटकलों को हवा दी है। पितृ पर्वत पर हुई इस खास मुलाकात से राजनीतिक हलकों में सरगर्मी तेज हो गई है। विजयवर्गीय द्वारा पितृ पर्वत पर वीडी शर्मा से विधिवत पूजा-अर्चना कराने के भी कई तरह के मतलब निकाले जाने लगे हैं। सिंधिया के बाद अचानक वीडी शर्मा की इंदौर में विजयवर्गीय से मुलाकात के क्या हैं मायने...
पहले बताते हैं कि सवाल यूं नहीं उठ रहे...
दरअसल, सबकी नजरें कैलाश विजयवर्गीय की भावी जिम्मेदारी पर है। उन्हें अब तक कोई नया पद या जिम्मेदारी देश या प्रदेश में नहीं दी गई है। पश्चिम बंगाल का प्रभार लेने के बाद वे लगातार इंदौर लोकल पॉलिटिक्स में सक्रिय हो गए हैं। कई कार्यक्रमों में पहुंचे हैं। इस बीच उन्होंने जरूर बिहार को लेकर एक बयान दिया था, बाकी वे ज्यादा सामने नहीं आए हैं। सिंधिया जब उनके घर पहुंचे तो प्रेस कॉन्फ्रेंस अकेले सिंधिया ने ही नहीं की। विजयवर्गीय बाहर नहीं आए।
हाल ही में सिंधिया ने भी विजयवर्गीय के निवास पर जाकर उनसे न केवल मुलाकात की थी बल्कि भोजन भी किया। इधर, शर्मा भी करीब एक घंटे तक विजयवर्गीय के साथ पितृ पर्वत पर रहे। इसके बाद विजयवर्गीय शर्मा को साथ लेकर महापौर की ई-व्हीकल में वरिष्ठ नेता स्व. विष्णुप्रसाद शुक्ला की शोकसभा में पहुंचे। शर्मा और विजयवर्गीय की इस अचानक मुलाकात से बन रहे ताजा समीकरण प्रदेश की राजनीति में बदलाव के संकेत दे रहे हैं।
आखिरी वक्त पर शर्मा ने चेंज किया प्लान
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा का विजयवर्गीय के यहां जाने का कोई प्रोग्राम नहीं था। पूर्व प्लान के मुताबिक वे सीधे पार्टी कार्यालय जाने वाले थे। वहां सामान्य बैठक कर स्व. विष्णुप्रसाद शुक्ला की शोकसभा में जाने का प्रोग्राम था। वहां से फिर पार्टी कार्यालय आकर नवनिर्वाचित पार्षदों से परिचय प्राप्त कर औपचारिक बैठक करने वाले थे। इस बीच उनका प्लान ही चेंज हो गया। महापौर ने उन्हें पार्टी कार्यालय पहुंचने के पहले ही वर्ल्ड कप चौराहे पर अपनी ई व्हीकल में बैठाया और साथ में पार्टी कार्यालय ले गए। फिर वहीं से विजयवर्गीय से मुलाकात करने का प्रोग्राम बना।
नई लीडरशिप यंग जनरेशन वाला बयान समान विचारधारा
शर्मा ने इंदौर में नई लीडरशिप और यंग जनरेशन के साथ नए प्रयोगों वाला बयान दिया था। उनका इशारा महापौर पुष्यमित्र भार्गव व नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की ओर था। रणदिवे को अध्यक्ष बनवाने से लेकर भार्गव को महापौर बनवाने तक हर मामले में विजयवर्गीय की अहम भूमिका रही है। भार्गव और रणदिवे की लगातार सक्रियता और नए-नए प्रयोग शर्मा के नई लीडरशिप, यंग जनरेशन के साथ नए प्रयोगों वाले बयान को सही ठहराने के साथ ही विजयवर्गीय के इन दोनों नेताओं को आगे बढ़ाने को भी जस्टिफाई करता है।
पश्चिम बंगाल से प्रभार लेने के बाद लगातार बन रहे समीकरण
पिछले दिनों विजयवर्गीय से पश्चिम बंगाल का प्रभार ले लिया गया, वो भी तब जब वो विदेश में थे। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिदित्य सिंधिया का विजयवर्गीय के घर जाकर मुलाकात करना और अब प्रदेश अध्यक्ष की अचानक विजयवर्गीय से मुलाकात से सरगर्मी और बढ गई है। वैसे विजयवर्गीय और शर्मा छात्र राजनीति से ही अच्छे मित्र रहे हैं।
कैलाश विजयवर्गीय एमपी की राजनीति से करीब सात सालों से दूर हैं। हालांकि सियासी रूप से हस्तक्षेप रखते हैं, लेकिन उतने सक्रिय नहीं हैं। अभी वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। अगर कैलाश एमपी की राजनीति में वापस लौटते हैं तो उनकी भूमिका क्या होगी। यदि वे एमपी में वापसी भी करते हैं, तो यहां उनके सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा चुनौती के रूप में सामने आ सकते हैं। पार्टी सिंधिया की भूमिका को लेकर सेफ साइड खेल सकती है। वहीं तोमर का उड़ीसा के प्रभारी के रूप में प्रदर्शन अच्छा रहा है। वे केंद्रीय मंत्री भी हैं। इसी तरह नरोत्तम मिश्रा भी प्रदेश में कैबिनेट मंत्री हैं, वे मप्र में नंबर दो के नेता हैं। ऐसे में विजयवर्गीय के सामने घर के ही नेताओं की चुनौती से पार पाना आसान काम नहीं होगा।
मुख्यमंत्री भी लगातार एक्टिव, पूजा-पाठ से पॉलिटिक्स तक
इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हाल ही में इंदौर आए और पूरे कॉन्फिडेंस के साथ प्रवासी सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट का ऐलान किया। इसके बाद परिवार सहित वाराणसी में काशी विश्वनाथ में बाबा के दरबार चले गए। इसके पूर्व वे विंध्यवासिनी, दतिया के पीतांबरा पीठ होकर आए थे।
0 टिप्पणियाँ