शहर में गणेशोत्सव की तैयारियां जोरो पर है। कोरोना काल के दो साल बाद इस बार किसी प्रकार की पाबंदियां नहीं हैं। इसलिए लोगों में उत्साह दोगुना है। खास बात यह कि अब लोगों में मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है। लोग पर्यावरण के हितैषी होकर अब मिट्टी की ही प्रतिमाएं ज्यादा खरीद रहे हैं। इस बार 50 रुपए से 5 हजार रुपए तक मिट्टी की प्रतिमाएं बाजार में हैं, जो अब पीओपी से महंगी हो गई हैं। इस बार गणेशजी के लिए लकड़ी के सिंहासन भी 300 से से लेकर 1200 रुपए कीमत में उपलब्ध है। इसके साथ ही मोतियों सहित नई-नई डिजाइन वाले हार भी हैं।
कुछ साल पहले तक गणेश प्रतिमाएं रिवर साइड रोड, खातीपुरा, राजबाडा आदि क्षेत्र के ही बाजारों में उपलब्ध रहती थी। लेकिन अब शहर के अधिकांश क्षेत्रों में गणेश प्रतिमाओं की दुकानें सजी हैं। इसमें स्कीम 114, स्कीम 78, सत्यसांई चौराहा, विजय नगर, बंगाली चौराहा, छावनी, नवलखा अन्नपूर्णा रोड, एरोड्रम रोड, पाटनीपुरा, मालवा मिल, भमोरी आदि क्षेत्रों में काफी दुकानें इस बार लगी हैं। बाजारों में 3 इंच से लेकर 12 फीट तक की प्रतिमाएं हैं, जबकि इससे बड़ी प्रतिमाएं ऑर्डर देने के बाद बनाई जाती हैं। ये वो प्रतिमाएं हैं जो सार्वजनिक गणेशोत्सव समारोह में पंडालों में विराजित होती हैं।
अयोध्या के राम मंदिर में विराजित श्री गणेश
सालों से दुकान लगाने वाली सीता प्रजापत ने बताया कि इस बार 90% प्रतिमाएं मिट्टी की हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस की 10% प्रतिमाएं ही बाजार में उपलब्ध हैं। पिछले चार-पांच साल से लोग मिट्टी के गणेशजी ज्यादा खरीद रहे हैं। इसलिए इस बार अधिकांश प्रतिमाएं मिट्टी की ही है। ये मिट्टी की प्रतिमाएं कोलकाता, गुजरात से आती हैं। इंदौर में इनका सिर्फ शृंगार किया जाता है। शृंगार के आधार पर इसकी कीमतें अलग-अलग होती है। इस बार प्रतिमाओं में अयोध्या के राम मंदिर में विराजित श्री गणेश की प्रतिमा भी है।
पंडाल के लिए 5 फीट ऊंची प्रतिमाओं की ज्यादा बिक्री
हर साल बड़ी प्रतिमाओं की दुकान लगाने वाले योगेश प्रजापत ने बताया कि कोरोना काल के दो साल बाद लोगों में इस बार काफी उत्साह है। बड़ी प्रतिमाएं पहले ही बुक हो चुकी हैं। वैसे छोटी प्रतिमाएं मिट्टी की ज्यादा बिक रही हैं। बड़ी प्रतिमाएं पीओपी और मिट्टी दोनों से मिलकर बनती हैं, जो पानी में आसानी से गल जाती हैं। 2 से 5 फीट तक की प्रतिमाओं की बिक्री ज्यादा हो रही हैं। इनकी कीमत 5 हजार रुपए तक है।
मोती सहित अलग-अलग डिजाइन के हार
बाजार में गणेश प्रतिमाओं के आकार के अनुसार अलग-अलग प्रकार के हार और माला उपलब्ध हैं। इनमें गोल्डन, सिल्वर, कलर मोती, चमक, फुंदे आदि के हार 100 से 150 रुपए तक में उपलब्ध है। इसी तरह आर्टिफिशियल फूलों के हार रंग-बिरंगे स्वरूप में उपलब्ध हैं। दुकानदार अनिता भोरे ने बताया कि अभी 40-50 रुपए के हार ज्यादा बिक रहे हैं। दुकानदार आसिफ ने बताया कि छोटे हारों की डिमांड ज्यादा है। ये हार 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक की कीमत में हैं। ये हार बुरहानपुर से बनकर इंदौर आते हैं। बुधवार को नई डिजाइन वाले हार और माला की बड़ी खेप आने वाली है।
लकड़ी और कपड़े के खूबसूरत सिंहासन
आमतौर पर लोगों को सजावट का समय नहीं मिलता। ऐसे में सिंहासन सहित गणेश प्रतिमाएं भी उपलब्ध हैं। ये सिंहासन लकड़ी, कपड़े, लैस, वेलवेट आदि से तैयार होते हैं। बाजारों में सिंहासन एक बाय डेढ़ फीट से लेकर तीन बाय तीन फीट तक के आकार में उपलब्ध है। दुकानदार पंकज तिलवे ने बताया कि सिंहासन की कीमत 300 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक है। इसमें विराजित होने वाली गणेश प्रतिमा 100 रुपए लेकर 500 रुपए तक में उपलब्ध है। प्रतिमा सिंहासन में रखते ही स्वरूप एकदम बदल जाता है। लोगों को किसी डेकोरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती है। बस साइज अनुसार गणेश प्रतिमा पसंद करो और घर जाकर सिंहासन में विराजित करो।
मोती, साफे, मयूर, धोती सहित कई स्वरूपों में गणेशजी
इस बार गणेश प्रतिमा हमेशा की तरह अलग-अलग स्वरूप में है। इस बार मोतियों से सजी गणेश प्रतिमाएं ज्यादा हैं। इसका कारण है कि मिट्टी के वास्तविक रंग में जब ये गोल्डन, सिल्वर व रंग-बिरंगे मोती, सितारे आदि प्रतिमाओं पर लगाए जाते हैं तो खूबसूरती चार गुना बढ़ जाती है। इसके अलावा परम्परागत मूषक, मयूर पर विराजित गणेशजी तथा धोती, साफे आदि स्वरूपों में भी अधिसंख्य हैं।
गुड, खोपरे, मावा, ड्रायफ्रूट्स के मोदक व लड्डू
बाजारों में बेसन व मोतीचूर के लड्डू 140 रुपए किलो से लेकर 600 रुपए किलो तक में उपलब्ध हैं। इसके अलावा गुड, खोपरा, मावा व ड्रायफ्रूट से बने मोदक भी इस बार बाजार में हैं। आमतौर पर गुड, खोपरा व मावा के बने मोदक की डिमांड ज्यादा है।
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