- दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिंतक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उन्होंने वेदों का अनुवाद किया, इसलिए उन्हें ‘ऋषि’ कहा जाता है।
1. जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है वह परिपक्व है, क्योंकि देने में ही आत्म-विकास निहित है। 2. सेवा का उच्चतम रूप उसकी मदद करना है, जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है। 3. दुनिया को आप अपना सर्वश्रेष्ठ दें, आपके पास भी सर्वश्रेष्ठ ही लौटकर आएगा। 4. अज्ञानी होना गलत नहीं, अज्ञानी बने रहना गलत है। 5. मनुष्य को दिया गया सबसे बड़ा संगीत-वाद्य उसकी आवाज है। 6. लालच वह अवगुण है, जो प्रत्येक दिन बढ़ता है, जब तक इंसान का पतन नहीं हो जाता। 7. अहंकार वह स्थिति है, जिसमें इंसान अपने मूल कर्तव्यों को भूल विनाश की ओर बढ़ता है। 8. कार्य को करने से पहले सोचना अक्लमंदी है, करते हुए सोचना सावधानी है, करने के बाद सोचना मूर्खता है।
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