2007-08 में वैश्विक आर्थिक संकट ने संपत्ति में गिरावट के परिणामों पर रिसर्च में बढ़ोतरी कर दी। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी रिसर्च सामने आई हैं जिनमें कई आर्थिक समस्याओं का कारण जमीन को बताया गया है। इनके अनुसार जमीन के ऊंचे दाम कर्ज देने, निवेश और अंतत: प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करते हैं। रिसर्च का चिंतित करने वाला निष्कर्ष है कि संपत्ति की बढ़ती कीमतें आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाती हैं। वे प्रोडक्टिव निवेश रोकती हैं। 2018 में इंटरनेशनल सैटलमेंट्स बैंक के सेबास्टियन डोएर के एक रिसर्च पेपर के अनुसार जिन लिस्टेड अमेरिकी कंपनियों के पास अधिक संपत्ति थी उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले अधिक कर्ज और पूंजी मिली जबकि वे कम प्रोडक्टिव थे। स्पेन में भी इसका प्रभाव देखा गया है। पिछले वर्ष बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के सर्जी बास्को, बैंक ऑफ स्पेन के लोपेज रॉड्रिग्ज, एनरिक बेनिटो के शोध पत्र में बताया गया कि जिन मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के पास अधिक संपत्ति थी, उन्हें अन्य कंपनियों की तुलना में ज्यादा बैंक कर्ज मिला है।
संपत्ति के बढ़ते मूल्यों से उत्पादक कर्ज देने में कमी आती है। हालिया रिसर्च बताती है कि चीन में जमीन की ऊंची कीमतों के कारण बैंकों का कर्ज जमीन से जुड़े निर्माण कार्यों से हटकर लिस्टेड कंपनियों के रिसर्च और अन्य कामों में हो गया। 172 चीनी शहरों में रिसर्च का निष्कर्ष है कि संपत्ति के दामों मंें 50% बढ़ोतरी से कर्ज की लागत बढ़ी। निवेश और प्रोडक्टिविटी कम हो गई। इस कारण कंपनियों की उत्पादकता में 35% गिरावट आई।
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