राजस्थान के बाद मप्र में भी लंपी वायरस ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। 4 अगस्त को पहला केस रतलाम में सामने आया था, इसके बाद डेढ़ महीने में ही यह संख्या 7 हजार 686 पहुंच गई है। 26 जिलों के 1912 गांव लंपी की चपेट में चुके हैं। 101 गायों की से मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा नुकसान खंडवा, नीमच और मंदसौर जिले में हुआ है।
लंपी का सबसे ज्यादा असर राजस्थान और गुजरात से सटे सीमावर्ती जिलों आलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़ और बुरहानपुर में ज्यादा है। इन जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। पशु चिकित्सा संस्थाओं, मुख्य ग्राम इकाई, पशु माता महामारी आदि में लगे वेटरनरी डॉक्टरों, असिस्टेंट सर्जन और असिस्टेंट वेटरनरी डॉक्टरों की तैनाती की गई है। राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल में कंट्रोल रूम बनाया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को लंपी वायरस का रिव्यु किया। बैठक में बताया गया कि वायरस से 7686 पशु प्रभावित हुए, जिसमें 5432 पशु ठीक हुए हैं।
केंद्र से मांगे 1.76 करोड़ रुपए
वैक्सीन और इलाज के लिए मप्र सरकार ने केंद्र की एस्केड योजना के तहत 1.76 करोड़ रुपए की मांग की है।
इंसानों में नहीं फैलता, गाय के दूध पर असर नहीं- जेएन कंसोटिया, अपर मुख्य सचिव, पशुपालन विभाग
लंपी का गाय के दूध पर असर डालेगा?
दूध पर इस वायरस का कोई असर नहीं है।
क्या इंसान भी इससे संक्रमित हो सकते हैं।
लंपी गाय से गाय और गाय से भैंस में फैलता है। लेकिन भैंस में इसका एक भी केस नहीं मिला। यह इंसानों में नहीं फैलता।
लंपी की मूल वैक्सीन अभी नहीं आई है ?
वैकल्पिक वैक्सीन गोट पॉक्स दिया जा रहा है। यह बकरियों और भेड़ को दिया जाता है। गायों को इसकी तीन गुना डोज देनी पड़ती है।
यह किस तरह की बीमारी है?
यह एक स्किन बीमारी है, जो पॉक्स प्रजाति के वायरस से गाय और भैसों में होती है। संक्रमित होने पर पशु को बुखार, अत्यधिक लार, आंख-नाक से पानी बहना, पैरों में सूजन, दूध कम देना, पशुओं में गर्भपात, शरीर पर 2 से 5 सेमी आकार की गठानें बन जाती है।
वैक्सीन के अलावा और क्या कर सकते हैं?
संक्रमित पशु, कीट, किलनी, मक्खी-मच्छर से स्वस्थ पशु को दूर रखें।
एडवाइजरी जारी
कोविड की तरह लंपी वायरस का नियंत्रण किया जाए। पशुपालकों को ग्राम सभाएं करके सचेत किया जाए। जहां भी केस मिले, उसके आसपास के पांच किमी के दायरे में तेजी से वैक्सीनेशन हो। विभागीय अमले को सेंसेटाइज करें। रोग नियंत्रण की रिपोर्ट प्रतिदिन दी जाए।
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