शक्ति की आराधना के नौ दिन आज से शुरू हो रहे हैं। इन नौ दिनों में देशभर के शक्ति पीठों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है।
लेकिन क्या आपको पता है शक्तिपीठ बने कैसे? कहानी क्या है?
चलिए, आज इसे जानते हैं। मान्यताओं के अनुसार दुनिया में 51 शक्ति पीठ हैं। शक्ति पीठ बनने की कहानी कुछ इस तरह है। एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ किया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। ना ही अपनी पुत्री सती को बुलाया। माता सती भगवान शिव के मना करने के बाद भी यज्ञ में चली गईं। जब वहां दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया तो मां सती ने क्रोधित होकर यज्ञ वेदी में कूदकर प्राण त्याग दिए।
जब शिव को पता चला तो वे वहां आए और यज्ञ ध्वस्त कर दिया और सती का शव लेकर घूमने लगे। शिव क्रोधित थे तो संसार में भय फैल गया। सृष्टि रुक गई। यह देखकर भगवान विष्णु ने शिव के क्रोध को शांत करने और उन्हें सती के शव से दूर करने के लिए सुदर्शन चक्र से मां सती के शव को कई टुकड़ों में विभक्त कर दिया। जहां-जहां सती के अंग गिरे, आज वहां शक्ति पीठ हैं।
आइए, आज जानते हैं देश और दुनिया में कहां--कहां हैं शक्ति पीठ।
सर्वाधिक पश्चिम बंगाल में हैं 10 शक्तिपीठ, सबसे प्रसिद्ध मंदिर कालीघाट शक्तिपीठ यहीं है
देश में सबसे ज्यादा शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में है। यहां कुल 10 शक्तिपीठ हैं। बंगाल के कालीघाटी में दक्षिणेश्वरी मंदिर में काली की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखकर खड़ी हुई हैं। मान्यताओं के मुताबिक, कालीघाट में माता सती के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था। कालिका देवी मंदिर के अलावा बंगाल में 9 शक्तिपीठ किरीटेश्वरी मंदिर (मुर्शिदाबाद), अट्टहास मंदिर (श्रीरामपुर), श्री बकरेश्वर मंदिर (बीरभूम), नंदीपुर शक्तिपीठ (बीरभूम), कालिका शक्तिपीठ (बीरभूम), बहुला शक्तिपीठ (केतुग्राम), भ्रामरी शक्तिपीठ (त्रिश्रोता), विभाष शक्तिपीठ (मिदनापुर), युगाद्या शक्तिपीठ (क्षीरग्राम) और भी हैं।
उत्तर भारत में हैं 8 शक्तिपीठ, अमरनाथ की पवित्र गुफा में हैं महामाया
उत्तर भारत यानी भारत का ह्रदय, यहां पर कुल 8 शक्तिपीठ हैं। सबसे प्रसिद्ध महामाया शक्तिपीठ, अमरनाथ की पवित्र गुफा में स्थित है। इसे माता सती के एक जाग्रत शक्तिपीठ के तौर पर जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का कंठ गिरा था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में विशालाक्षी शक्तिपीठ भी प्रमुख शक्तिपीठों की सूची में आता है। यह मंदिर बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यह शक्तिपीठ दुर्गा मां की शक्ति का प्रतीक है। इसके अलावा उत्तर भारत में 7 और भव्य शक्तिपीठ मौजूद हैं। उनके नाम कुछ इस प्रकार है- विशालाक्षी शक्तिपीठ (वाराणसी), ललिता देवी मंदिर (प्रयागराज), कात्यायनी शक्तिपीठ (वृन्दावन), ज्वाला जी मंदिर (कांगड़ा), श्री देवी कूप भद्रकाली मंदिर (कुरूक्षेत्र), त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ (जालंधर), मगध देवी शक्तिपीठ (पटना)।
पश्चिम भारत में हैं 5 शक्तिपीठ, कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर में है 7000 साल पुरानी प्रतिमा
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मी मंदिर है। इसे शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि मां सती के त्रिनेत्र यहीं गिरे थे। यहां भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी निवास करती हैं। मन्दिर में महालक्ष्मी की श्याम वर्ण की 3 फीट ऊंची मूर्ति है। दीवार पर श्रीयंत्र है। कोल्हापुर के इस प्रसिद्ध मंदिर के अलावा पश्चिम भारत में मणिवेदिका मंदिर (पुष्कर), श्री अंबिका विराट शक्तिपीठ (जयपुर), जनस्थान भ्रामरी शक्तिपीठ (नासिक) और अम्बाजी शक्तिपीठ (बनासंकाठा) भी मौजूद हैं।
दक्षिण भारत में 5 शक्तिपीठ, कन्याकुमारी में है शुसीचंद्रम शक्तिपीठ
दक्षिण भारत में 5 शक्तिपीठ मौजूद हैं। यहां सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ शुसीचंद्रम है, जो कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर स्थित है। माना जाता है कि यहां पर माता का दांत गिरे थे। इसी स्थान पर भगवती देवी ने बाणासुर का वध किया था और यहीं पर इन्द्र को महर्षि गौतम के शाप से मुक्ति मिली थी। यहां नारायणी मां की भव्य प्रतिमा है। शुसीचंद्रम शक्तिपीठ के अलावा दक्षिण भारत में 4 और शक्तिपीठ है। उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं- मां कामाक्षी देवी मंदिर (कांचीपुरम), कण्यकाश्रम शक्तिपीठ (कन्याकुमारी), गोदावरी शक्तिपीठ (कब्बूर) और श्री शैल शक्तिपीठ (कुर्नूल)।
पूर्वोतर भारत में 5 शक्तिपीठ : यहां के कामाख्या देवी मंदिर का अंबुवाची मेला है विश्व प्रसिद्ध
पूर्वोतर में 5 शक्तिपीठ हैं। सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं, असम का कामख्या देवी मंदिर। कहा जाता है कि असम आए और यहां नहीं आए तो यात्रा अधूरी है। यह मंदिर दिसपुर से थोड़ी दूर नीलाचंल पर्वत पर है। 17वीं सदी में बिहार के राजा नारा नारायणा ने यह मंदिर बनवाया था। यहां हर साल हर साल अंबुवाची मेले का आयोजन होता है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए देशभर से अघोरी और तांत्रिक आते हैं। मान्यता है कि मेले के ये तीन दिन माता की माहवारी का समय होता है। इस समय जल कुंड में पानी की जगह रक्त बहता है। प्रसाद के तौर पर श्रद्धालुओं को ‘रक्त’ में डूबे कपड़ों का प्रसाद मिलता है। कामाख्या के अलावा पूर्वोतर में बिरजा देवी मंदिर (याजपुर), त्रिपुरसुंदरी शक्तिपीठ (उदरपुर), माँ जया दुर्गा शक्तिपीठ मंदिर (देवघर) और जयन्ती शक्तिपीठ (जयंतिया पर्वत) मौजूद है।
मध्य प्रदेश में 2 शक्तिपीठ : यहां हरसिद्धी माता मंदिर में पूजा से मिलती हैं दिव्य सिद्धियां
मध्य प्रदेश में दो शक्तिपीठ हैं। एक है हरसिद्धी माता मंदिर जो उज्जैन में है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती के बाएं हाथ की कोहनी गिरी थी। हरसिद्धि माता को ‘मांगल-चाण्डिकी’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि माता हरसिद्धि की साधना से सभी दिव्य सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के अमरकंटक में मौजूद है शोण शक्तिपीठ। यहां सती का "दायां नेत्र गिरा" था।
भारत से बाहर 8 शक्तिपीठ- पाकिस्तान में हिंगलाज तो श्रीलंका में इंद्राक्षी
कुछ शक्तिपीठ पड़ोसी देशों में भी है। भारत से बाहर सर्वाधिक चार शक्तिपीठ बांग्लादेश में है। इसी तरह पाकिस्तान में विश्व प्रसिद्ध हिंगलाज मंदिर है। जो हिंगोल नदी और चंद्रकूप पहाड़ पर गुफा में स्थित है। मान्यता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ में माता सती का सिर कटकर गिरा था। इसके अलावा बांग्लादेश में चार शक्तिपीठ हैं- सुगंधा देवी शक्तिपीठ (शिकारपुर), चट्टल भवानी शक्तिपीठ (चिट्टागांग), यशोरश्वेरी शक्तिपीठ (ईश्वरीपुर), और करतोयाघाट शक्तिपीठ (भवानीपुर) मौजूद हैं। इसके अलावा नेपाल में दो शक्तिपीठ हैं- मुक्तिधाम मंदिर (पोखरा) और गुह्येश्वरी शक्ति पीठ (काठमांडू)। वहीं श्रीलंका और तिब्बत में एक- एक शक्तिपीठ मौजूद है- इंद्राक्षी शक्तिपीठ, (त्रिकोणमाली, श्रीलंका) और मानस शक्तिपीठ ( तिब्बत) है। नीचे दी गई टेबल में जानिए, दुनिया के किन-किन स्थानों में मौजूद हैं शक्तिपीठ...
0 टिप्पणियाँ