बीते चार साल में जल संसाधन विभाग (पीएचई), जल निगम, सिंचाई पीडब्ल्यूडी सहित लगभग सभी सरकारी विभागों ने सरकारी ट्रेजरी से ठेकेदारों को 18 हजार पेमेंट किए, लेकिन ये पेमेंट अब सवालों में घिर गए हैं। दरअसल, विभागों ने ठेकेदारों को भुगतान तो कर दिए, लेकिन इन पर टैक्स डिडक्शन एट द सॉर्स (टीडीएस) नहीं काटा। अब वाणिज्यिक कर विभाग ने सभी विभागों को नोटिस भेजकर 2% टीडीएस जमा कराने को कहा है।
विभागों को 25 सितंबर तक टीडीएस जमा कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों पर 10-10 हजार रु. की पेनाल्टी लगाई जाएगी। यह कुल पेनाल्टी 18 करोड़ रु. तक हो सकती है। बड़ी बात ये है कि कई भुगतान दस हजार रुपए से भी कम के हैं। इसलिए यहां ड्राइंग एंड डिस्बर्स ऑफिसर (डीडीओ) को टीडीएस जितनी राशि बतौर पेनॉल्टी देनी होगी। हालांकि अधिकतर मामलों में इसके विलंब के लिए जिम्मेदारी विभाग के डीडीओ की बनती है। इसलिए ज्यादातर मामलों में यह राशि डीडीओ से ही वसूल की जा सकती है।
मसला 2 प्रतिशत का नहीं, 18 प्रतिशत का है
वाणिज्यिक कर विभाग का कहना है कि मसला सरकारी विभागों के 2% टीडीएस का नहीं है। इनके जरिए कांट्रेक्टर को हुए भुगतान की जानकारी विभाग को मिलती है, जिस पर 18% जीएसटी लगता है। यह बहुत बड़ी राशि होती है। अगर विभाग पर 20 करोड़ की देनदारी निकल रही है तो इसके मायने यह हैं कि काम करने वाले ठेकेदारों पर 180 करोड़ रु. का टैक्स बनता है।
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