Header Ads Widget

Responsive Advertisement

अनंत चतुर्दशी पर मजदूरों को बप्पा का बड़ा उपहार:एमपीआईडीसी को सौपेंगे हुकुमचंद मिल की जमीन बदले में मिलेंगे 450 करोड़, होगा श्रमिकों का भुगतान

हुकुमचंद मिल के मजदूरों और बैंकों के क्लेम का निपटारा जल्द हो सकता है। सरकार ने मिल की 42.50 एकड़ जमीन एमपीआईडीसी (मप्र स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) को देने का फैसला लिया है। मिल पर बैंकों, ट्रिब्यूनल और मजदूरों की 450 करोड़ की देनदारी है। मजदूरों का ही करीब 170 करोड़ बकाया है।

कॉर्पोरेशन पहले यह राशि देगा। जमीन पर नगर निगम के साथ कोई वेंचर या एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) गठित कर आईटी आदि से जुड़ा प्रोजेक्ट लाएगा। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि शासन के आदेशानुसार प्लानिंग कर रहे हैं।

अब जितने भी विवाद हैं, एमपीआईडीसी निपटाएगा। शासन एमपीआईडीसी को सभी डिस्पोजल के अधिकार दे रहा है। चूंकि जमीन पर निगम भी अपना दावा जता रहा है, इसलिए ज्वाइंट वेंचर में आईटी या अन्य सेक्टर से जुड़ा प्रोजेक्ट लाएंगे।

  • 42.50 एकड़ हुकुमचंद मिल की जमीन
  • 1991 में बंद हुई थी मिल, तब थे 5895 मजदूर
  • 2200 मजदूरों की मौत मुआवजे के इंतजार में अब तक हो चुकी है
  • 2007 में कोर्ट ने मजदूरों के लिए 2900 करोड़ का मुआवजा तय किया
  • 50 करोड़ की एक किस्त दी जा चुकी

2007 में मुआवजा तय हुआ 2017 में 50 करोड़ मिले थे
हुकुमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हुई थी। उस समय मिल में 5895 मजदूर काम करते थे। मिल बंद होने के बाद से ही ये मजदूर अपने बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। मिल से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि मुआवजे के इंतजार में करीब 2200 मजदूरों की अब तक मौत हो चुकी है। साल 2007 में कोर्ट ने मजदूरों को 229 करोड़ रुपए का मुआवजा तय किया था। इसके 10 साल बाद 2017 में इन्हें 50 करोड़ की राशि मिल पाई थी।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ