इंदौर में एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी को कैद में रखने का मामला सामने आया है। अपनी मां को पिता की कैद से आजाद कराने के लिए 12 साल के बच्चे ने ही वकील के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए पुलिस को तत्काल एक्शन लेते हुए महिला को कैद से आजाद कराने और आरोपी की तरफ से मां-बेटे को पांच हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के आदेश बुधवार को जारी किए हैं। यहां पढ़िए आरोपी के पत्नी और बेटे को धमका कर अत्याचार करने की कहानी...
एक साल से पत्नी को रखा था ताले में बंद
आरोपी पिछले एक साल से पत्नी (37 वर्ष) से और बेटे (12 वर्ष) को ताले में बंद रखता था। दोनों के साथ आए दिन मारपीट करता था। कहीं बाहर जाने पर पत्नी और बेटे को ताले में बंद कर जाता था। आरोपी की पत्नी सिलाई का काम कर घर का खर्च चलाती है। लेकिन पति दिनभर घर पर बाहर से ताला लगाकर घूमता रहता है। घर पर सिलाई का काम देने आने वालों से विवाद भी करता है और पत्नी व बेटे की आए दिन पिटाई करता था। मां-बेटे को गैस सिलेंडर से घर जला कर जान से मारने की धमकी भी देता था।
पारले जी ने आठ साल पहले निकाल दिया था नौकरी से
आरोपी एरोड्रम रोड पर बांगडदा इलाके के वेंकटेश विहार में रहता है। आठ साल पहले 2014 में इंदौर में ही पारले जी कंपनी में सुपरवाइजर के रूप के काम करता था। यहां आरोपी ने एक हेल्पर को थप्पड़ मार दिया था। इसके चलते उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। आरोपी पति तभी से आवारागर्दी करने लगा और पत्नी-बच्चे के साथ मारपीट का सिलसिला भी तभी से शुरू हो गया था।
दूसरी महिलाओं से संबंध, बेटे को भी ले जाता था साथ
याचिका में महिला ने पति पर दूसरी महिलाओं से संबंध होने और उनसे मिलने जाने पर बेटे को साथ ले जाने का आरोप भी लगाया। इससे बच्चे के दिमाग पर गलत प्रभाव पड़ रहा था। जिसके कारण वह पढ़ाई भी ठीक से नही कर पा रहा था।
कमिश्नर से मिलने के बाद भी एरोड्रम पुलिस ने नहीं की थी कार्रवाई
बच्चे की ओर से याचिका लगाने वाले वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि मार्च 2022 में पीड़िता और उसके बेटे ने कमिश्नर हरी नारायण चारी मिश्र से मिलकर आरोपी द्वारा की जा रही प्रताड़ना की कहानी बया की थी। इस पर चारी ने डीसीपी को इस मामले में पड़ताल के आदेश दिए। बेटे ने आवेदन में पिता पर अवैध हथियार दिखाने के साथ घर में गैस सिलेंडर से जलाने की धमकी देने का भी आरोप लगाया था। इस मामले में एरोड्रम पुलिस पीड़िता के घर पहुंची थी और यहां से सिर्फ हथियार लेकर वापस आ गई। लेकिन आरोपी के खिलाफ मामले में कोई कार्रवाई नही की।
ऐसे की वकीलों ने मदद
जिला कोर्ट के वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे, ईश्वर कुमार प्रजापति ने बताया कि मार्च 2022 में वह लंच करने अपने साथियों के साथ कोर्ट से बाहर आए थे। जहां बच्चा भटक रहा था और अन्य वकीलों को अपनी बात बताते हुए मदद मांग रहा था। इस दौरान उनकी नजर बच्चे पर पड़ी। पहले उन्होंने आवेदन बनाकर बच्चे को कमिश्नर के पास भेजा। लेकिन पुलिस ने जब कार्रवाई नहीं की तो बच्चा उन्हें ढूंढते हुए कोर्ट आया। यहां पर कृष्ण कुमार और ईश्वर प्रजापति ने बच्चे और उसकी मां को न्याय दिलाने की बात कही। जिसके बाद उन्होंने जिला बाल विकास अधिकारी से बात कर कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस मामले में कलेक्टर को भी एक कॉपी सौंपी गई थी
कोर्ट ने सुनाया यह आदेश
इस मामले में बच्चे के माध्यम से एक याचिका मजिस्ट्रेट अंकिता त्रिपाठी की कोर्ट में लगाई थी। जहां उसे स्वीकार करते हुए पुलिस को महिला और उसके बेटे को घर में कैद ना करते हुए पूरी सुरक्षा देने को निर्देश दिया। कोर्ट ने आरोपी को अपनी पत्नी और बच्चे को हर माह पांच हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश भी दिया। कोर्ट ने आदेश का पालन नही करने पर एक साल की सजा और 2 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया है। कोर्ट के आदेश के बाद महिला और उसका बेटा बंधन मुक्त हैं।
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