वाणिज्यिक कर कमिश्नर लोकेश जाटव विभाग में एंटी इवेजन ब्यूरो (एईबी) या कर चोरी रोकने के लिए गठित दस्ते को बंद करना चाहते हैं। इन दस्तों को लंबे समय से कार्रवाई के अधिकार नहीं दिए गए। पिछले दिनों कमिश्नर ने वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा और विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी की उपस्थिति में दिए प्रेजेंटेशन में यह प्रस्ताव रखा। कमिश्नर ने दो प्रमुख तर्क दिए। पहला- जीएसटी और ईवे बिल आने के बाद इन दस्तों का औचित्य नहीं रहा। दूसरा- इस विंग के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं। हालांकि मंत्री के सहमत न होने से बात आगे नहीं बढ़ी। अलबत्ता मंत्री ने सवाल जरूर उठाए कि लंबे समय से छापामार दस्ते को अधिकार नहीं दिए जाने से राजस्व को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कैसे होगी।
जब पड़ोसी राज्यों में इस तरह के दस्ते काम कर रहे हैं तो केवल मप्र में इन्हें अनुपयोगी बताना किस हद तक सही है। मप्र में इन दिनों छह एईबी विंग काम कर रहे हैं। इन सभी में संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी के साथ टैक्स इंस्पेक्टर होते हैं। मंत्री ने कहा, लंबे समय से दूसरे राज्यों से आए वाहन बिना जांच के प्रदेश से पार हो रहे हैं। देवड़ा ने यह भी कहा कि राज्य कर विभाग अगर छापामार कार्रवाई बंद कर देगा तो प्रदेश में मौजूद सेंट्रल जीएसटी विभाग यह कार्रवाई कर लेगा। ऐसे में राजस्व उनके पूल में चला जाएगा। आयुक्त को लगता है कि एईबी में भ्रष्टाचार है तो उन्हें ऐसे अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस शासनकाल में वाणिज्यिक कर मंत्री रहे दिवंगत बृजेंद्र सिंह राठौर ने मार्च-19 में एईबी को खत्म करने का अल्टीमेटम दे दिया था। उनका तर्क था कि जीएसटी आने के बाद एईबी का कोई महत्व ही नहीं रह गया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा था कि एईबी सरकार को सालाना राजस्व के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करता है तो उसे जारी रखने पर विचार हो सकता है।
- कमिश्नर की दलील... जीएसटी के बाद इनका औचित्य नहीं, भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रहीं
- मंत्री का जवाब...अन्य राज्यों में भी तो ये दस्ते काम कर रहे हैं, भ्रष्टाचार है तो कार्रवाई करें
विभागीय अधिकारियों को बताया- एईबी का विस्तार करेंगे
पिछले दिनों मंत्रालय में हुई बैठक के पहले चरण में सभी एईबी के प्रमुखों को बुलाया गया था। उसमें प्रेजेंटेशन में जाटव ने कहा कि वे राज्य कर विभाग का पुनर्गठन करना चाहते हैं। इसके तहत विभाग का डेटा एनालिसिस एंड रिसर्च विंग एईबी के साथ मर्ज किया जाएगा। इससे छापा मारने से पहले एईबी ज्यादा जानकारी जुटा सकेगी। दूसरे चरण में कमिश्नर ने मंत्री-पीएस को जो प्रेजेंटेशन दिया, उसमें छापामार विंग को ही खत्म करने की बात कही।
अभी प्रस्ताव नहीं
एईबी को अधिकार नहीं मिलने से विभाग को कोई राजस्व हानि नहीं हुई। शासन के पास अब तक एईबी को खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। चर्चा तो हर तरह के विषयों पर होती है।
- दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर विभाग, मप्र शासन
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