अभी पितृ पक्ष चल रहा है और इस पक्ष की नवमी तिथि का महत्व काफी अधिक है। इसे मातृ नवमी कहा जाता है। इस दिन उन महिलाओं के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान, तर्पण और धूप-ध्यान किया जाता है, जो मृत्यु के समय सुहागिन थीं। मातृ नवमी सोमवार, 19 सितंबर को है।
ये बात कही है उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने। पं. शर्मा आगे कहते हैं कि मातृ नवमी पर घर-परिवार, कुटुंब की मृत सुहागिन महिलाओं का श्राद्ध कर्म एक साथ किया जा सकता है। जिन सुहागिन महिलाओं की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, उनके लिए भी नवमी पर ही श्राद्ध करना चाहिए।
जानिए नवमी पर कैसे कर सकते हैं धूप-ध्यान
- नवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर की साफ-सफाई करें। सूर्य को जल चढ़ाएं और घर के मंदिर में पूजन करें।
- पितरों के लिए श्राद्ध कर्म दोपहर में 12 बजे के आसपास ही करना चाहिए। धूप-ध्यान करने के लिए खीर-पुड़ी, सब्जी आदि पकवान बनाएं।
- आप चाहें तो घर के बाहर रंगोली भी बना सकते हैं।
- दोपहर में गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और जब उससे धुआं निकलना बंद हो जाए, तब परिवार की सभी मृत सुहागिन महिलाओं का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़-घी, खीर-पुड़ी अर्पित करें। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके धूप-ध्यान करना चाहिए।
- धूप-ध्यान करते समय ऊँ पितृदेवताभ्यो नम: मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
- हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें। हाथ में जल के साथ ही जौ, काले तिल, चावल, दूध, सफेद फूल भी रख लेंगे तो बेहतर रहेगा। धूप-ध्यान के लिए पीतल या तांबे के बर्तनों का उपयोग करेंगे तो अच्छा रहेगा।
- इस तरह धूप-ध्यान पूरा हो जाता है।
धूप-ध्यान के बाद ये काम भी जरूर करें
- धूप-ध्यान करने के बाद गाय, कौएं, कुत्ते के लिए भी भोजन घर के बाहर रखें।
- इस दिन किसी जरूरतमंद सुहागिन महिला को सुहाग का सामान जैसे लाल साड़ी, चूड़ियां, कुमकुम, ज्वेलरी, खाना, अनाज, धन, जूते-चप्पल, छाते का दान करें।
- किसी कन्या की शिक्षा के लिए धन का दान करें।
- किसी गौशाला में गायों की देखभाल करें और हरी घास, धन का दान करें।
- अगर संभव हो सके तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। नदी किनारे ही दान-पुण्य करें।
- इस दिन गरुड़ पुराण या श्रीमद् भागवत गीता का पाठ भी करना चाहिए।
0 टिप्पणियाँ