खाने का जायका बढ़ाने वाली लाल मिर्च आपके किचन का बजट बिगाड़ सकती है। मालवा-निमाड़ में मिर्च की फसल पर व्हाइट फ्लाई वायरस (सफेद मक्खी) ने अटैक कर दिया है। इससे फसल को 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हो चुका है। इससे आने वाले दिनों में मिर्च के भाव 250 रुपए किलो से भी ऊपर तक जा सकते हैं।
मिर्च के सबसे बड़े उत्पादक राज्य आंध्रप्रदेश में भी पैदावार पर असर की खबरें आ रही हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश में पैदावार और घटती है तो मालवा-निमाड़ छोड़कर दूसरे इलाकों के लिए बाहरी राज्यों से मिर्च मंगाना पड़ेगी। थोक कारोबारियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन और दूसरे चार्जेस जुड़ने से लाल मिर्च का महंगा होना लगभग तय है।
मालवा-निमाड़ के मिर्च उत्पादक किसानों का कहना है कि पिछले साल बेमौसम बारिश की वजह से फसल खराब हो गई थी। इस बार अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन वायरस के अटैक से पौधे उखाड़कर फेंकना पड़ गए। जिस फसल पर वायरस का अटैक नहीं है, उसे बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
नई मिर्च आ रही, लेकिन आवक कम
मिर्च उत्पादक किसान अनिल पाठन, मिश्रीलाल छलोत्रा और नत्थू शाह का कहना है कि सफेद मक्खी के अलावा हरी इल्ली लगने की वजह से भी मिर्च के पौधे बड़े नहीं हो पा रहे हैं। फल आए तो साइज छोटा रह गया। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी मिर्च मंडी बेड़िया (जिला खरगोन) में नई हरी मिर्च आने लगी है, लेकिन आवक कम है। एमपी की ई-मंडी की रिपोर्ट के अनुसार 12 अगस्त से 7 सितंबर तक मध्यप्रदेश की मंडियों में किसान सिर्फ 1600 क्विंटल हरी मिर्च लेकर पहुंचे थे, वहीं 9 से 15 सितंबर के बीच 913 क्विंटल आवक हुई।
बेड़िया मंडी में भाव 205 रु तक पहुंचा
सबसे ज्यादा आवक बेड़िया मंडी में हो रही है और 15 सितंबर को यहां अधिकतम भाव 20 हजार 500 रुपए क्विंटल रहा। बेड़िया मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष समर्थ बिरला ने बताया कि बेड़िया एशिया में दूसरे नंबर की मिर्च मंडी है। निमाड़ की अच्छी क्वालिटी की मिर्च यहां से देश और विदेश तक भेजी जाती है। कम पैदावार की वजह से इस साल मिर्च का भाव 200 से 250 रुपए किलो तक रहेगा।
आंध्र और कर्नाटक में भी वायरस अटैक...
आंध्रप्रदेश में पहले भारी बारिश से पहली तुड़ाई की मिर्च खराब हो गई। ऐसी उम्मीद थी कि दूसरी तुड़ाई से बेहतर किस्म का माल आने लगेगा, लेकिन वायरस ने हमला कर दिया। इससे उत्पादन के साथ क्वालिटी में भी गिरावट आ गई। कर्नाटक में भी कुछ हद तक वायरस ने हमला किया है। देखा जाए तो इस साल बेस्ट क्वालिटी की मिर्च का अभाव है। ऐसे में मिर्च का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है। खाड़ी देशों में हल्के किस्म के सभी मसाले चल जाते हैं, इसलिए हल्की किस्म की मिर्च का एक्सपोर्ट वहां संभव है।
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