राजधानी में अफसरों और राशन दुकानदारों की मिलीभगत साबित होने के बाद 39 दुकानों को सस्पेंड किया जा चुका है। इस घोटाले में लापरवाही बरतने वाले 15 अफसर भी सस्पेंड हो चुके हैं। लेकिन इन अफसरों की जगह नए अफसरों को अब तक पदस्थ नहीं किया है।
यही कारण है कि पहली बार भोपाल में 3 लाख 39 हजार परिवारों के 15 लाख से ज्यादा सदस्यों को राशन मिल रहा है या नहीं, इसकी निगरानी के लिए सिर्फ 4 अफसर बचे हैं। यानी पहली बार एक अफसर के पास 100-100 राशन दुकानों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है।
पीएम गरीब कल्याण योजना का फ्री राशन बांटा ही नहीं जा रहा था
इधर, जिला आपूर्ति अधिकारी का तर्क है कि जल्द ही नए अफसरों की पोस्टिंग होते ही नए सिरे से कार्य विभाजन किया जाएगा। गड़बड़ी की शिकायत वाले दुकानदारों को नोटिस दिए जाएंगे। सुनवाई के बाद लाइसेंस सस्पेंड किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत बांटे गए राशन में जमकर गड़बड़ी की गई। जांच में 39 राशन दुकानें ऐसी मिलीं, जहां केन्द्र की तरफ से गरीब हितग्राहियों को दिया जा रहा फ्री राशन बांटा ही नहीं गया।
ये हकीकत सामने आने के बाद भोपाल में पदस्थ 7 और जांच टीम में शामिल 8 अफसरों को सस्पेंड किया गया था। ये दावा किया गया था कि दोबारा से राशन दुकानों में कोई गड़बड़ी न हो इसकी निगरानी कराई जाएगी। जिले में 452 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों का संचालन हो रहा है। इसमें 267 दुकानें शहरी क्षेत्र में हैं और 188 ग्रामीण क्षेत्र में हैं।
इनकी निगरानी के लिए 15 इंस्पेक्टर और 3 एएफओ के पद हैं। लेकिन अभी तीन इंस्पेक्टर व एक एएफओ ही कार्य कर रहे हैं। यह स्थिति विभाग की कार्रवाई के बाद बनी है। दरअसल, एक इंस्पेक्टर का तबादला हो गया, वहीं चार इंस्पेक्टर और दो एएफओ निलंबित कर दिये गये। विभाग ने कार्रवाई के 12 दिन बाद भी नए अफसरों की नियुक्ति करना जरूरी नहीं समझा।
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