स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स में एक और बड़ी गड़बड़ सामने आई है प्राजेक्ट में रीडेवलपमेंट के नौ काम ऐसे थे, जिनसे इंदौर को 1500 करोड़ रुपए की आय संभावित थी। अफसर इनमें से आठ काम भूल ही गए। यही वजह है कि 650 करोड़ के प्रोजेक्ट लंबित हैं और खाते में सिर्फ 70 करोड़ रुपए बाकी हैं। सीईओ के तबादले होते गए और 9 में से सिर्फ एक एमओजी लाइन्स प्रोजेक्ट पर अब काम शुरू हो पाया है।
2018 से अब तक इंदौर स्मार्ट सिटी के छह सीईओ बदल चुके हैं। 2018 में सीईओ रोहन सक्सेना थे, फिर संदीप सोनी, अदिति गर्ग, शीतला पटले, ऋषव गुप्ता और अब दिव्यांक सिंह ने कमान संभाली है। एमओजी लाइन्स की तरह विभिन्न स्थान पर प्रोजेक्ट प्लान कर फ्री होल्ड बेचने की प्लानिंग 2019 में हुई थी। इनकी लागत 2800 करोड़ थी, जिनसे 1500 करोड़ की आय होती। बाद के अफसरों को बाकी प्रोजेक्ट की कोई जानकारी ही नहीं है।
पहले चरण में ये 9 प्रोजेक्ट लिए थे, सिर्फ एक काम ही शुरू हो पाया अब तक
- कुक्कुट पालन केंद्र में रेसीडेंशियल कमर्शियल काॅम्प्लेक्स का काम शुरू हुआ है। इससे 848 करोड़ की आय संभावित है।
- बक्षीबाग में रेसीडेंशियल काॅम्प्लेक्स बनाना था, जिससे 32 करोड़ की आय संभावित थी।
- जिंसी में शासकीय प्रेस की जगह काॅम्प्लेक्स की योजना थी। 4-5 करोड़ की आय संभावित।
- कबूतरखाना में नदी किनारे बस्तियाें की जगह मकान देने से 10-15 करोड़ की आय होती।
- वीर सावरकर मार्केट में दो प्रोजेक्ट थे। 5-6 करोड़ की आय संभावित। अब पार्किंग प्लान है।
- नंदलालपुरा पुराने तार घर के पास 10 हजार वर्गफीट पर काॅम्प्लेक्स से 2-3 करोड़ मिलते।
- महूनाका के पास कमर्शियल काॅम्प्लेक्स बनना था। इससे 25-30 करोड़ आय होती।
- लोधा कॉलोनी में स्लम की जगह मकान देने की प्लानिंग थी। सामने कमर्शियल हिस्से से 15-20 करोड़ की आमदनी प्रस्तावित थी।
- वीआईपी रोड पर काॅम्प्लेक्स का प्लान था। यहां से भी 3 करोड़ की आय संभावित थी।
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