देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने बीएड-एमएड और बीएससी सहित तमाम काेर्स के मूल्यांकन में लापरवाही की शिकायताें काे गंभीरता से लिया है। यूनिवर्सिटी ने तय किया है कि जाे मूल्यांकनकर्ता सालभर में दाे बार से ज्यादा लापरवाही करेंगे, उन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। पहले लिखित जवाब मांगा जाएगा, लेकिन अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ ताे सीधे ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। यूनिवर्सिटी उन कॉलेजाें पर भी सख्ती करेगी, जाे कॉलेज काेड 28 में नियुक्तियाें का पालन नहीं कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन सभी कॉलेजाें काे पत्र भेज रही है।
इसमें कहा जा रहा है कि कॉलेज अपनी फैकल्टी की लिस्ट भेजें। छात्राें की संख्या की तुलना में जितनी फैकल्टी चाहिए, उसकी औसत संख्या अब हर हाल में पूरी करना हाेगी। रजिस्ट्रार डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि खराब रिजल्ट या खराब मूल्यांकन काे लेकर जाे शिकायतें आ रही हैं, उसे हमने दाे तरीकाें से लिया है।
पहला मूल्यांकन में लापरवाही औ दूसरा कॉलेजाें में फैकल्टी की कमी के कारण ठीक से पढ़ाई न हाेना। दाेनाें पर काम शुरू कर दिया है। बार-बार लापरवाही करने वाले मूल्यांकनकर्ताओं की अलग से लिस्ट बनेगी। वहीं कॉलेजाें से कॉलेज काेड 28 की सूची मांगी जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि खराब रिजल्ट के लिए कमजोर पढ़ाई ताे वजह नहीं है।
- 510 एग्जाम हर साल ले रही है यूनिवर्सिटी
- 176 कुल काेर्स हैं
- 3 लाख 6 हजार छात्र हैं
- 296 कॉलेज हैं डीएवीवी से संबद्धता प्राप्त
- 900 तक पहुंच गई हैं मूल्यांकनकर्ताओं की संख्या
इसलिए भी सख्ती जरूरी
- रिवैल्यूएशन की प्रक्रिया और उसके रिजल्ट 60 दिन के बजाय 30 दिन में घाेषित हाे पाएंगे।
- एटीकेटी और पूरक परीक्षाएं कम से कम 30 से 45 दिन जल्दी हाे सकेंगी।
- यूजी फाइनल के छात्राें काे पीजी में एडमिशन लेने में दिक्कतें नहीं अाएंगी।
पहले नोटिस भेजा जाएगा, फिर कार्रवाई होगी
यूनिवर्सिटी ऐसे मूल्यांकनकर्ताओं की पहचान रिव्यू प्रक्रिया के आधार पर करेगी। छात्र कॉपी देखने के बाद एक फॉर्म भरते हैं, उसमें वे बताते हैं कि टाेटल में गड़बड़ी है, काेई प्रश्न ही जांचने से रह गया। ऐसी गंभीर शिकायताें की जांच की जाएगी। अगर सही पाई गईं ताे उस कॉपी काे जांचने वाले का नाम अलग से लिस्ट में लिखा जाएगा। तीसरी गलती पर नाेटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। जवाब से असंतुष्ट हाेने पर ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई की जाएगी।
गलतियां कैसी-कैसी आईं हैं सामने
- बीएड के एक मूल्यांकनकर्ता ने दाे प्रश्न बिना जांचे नंबर चढ़ा दिए थे। नतीजा यह हुआ कि ग्रेजुएशन में टॉप करने वाली एक छात्रा भी उस विषय में फेल हाे गई।
- एमबीए के एक छात्र काे एक विषय में कुल 50 अंक मिले थे। लेकिन दाे प्रश्नों के अंक ही नहीं जाेड़े और मूल्यांकनकर्ता ने टाेटल कर दिया। नतीजा यह हुआ कि छात्र काे उस विषय में एटीकेटी आ गई।
- एक मूल्यांकनकर्ता ने बीएससी फाइनल के एक छात्र काे मैथ्स में पूरे सही जवाबाें के भी आधे नंबर दिए। जबकि पूरे अंक देने का प्रावधान है।
800 मूल्यांकनकर्ता चाहिए, हैं 900 से ज्यादा - फिलहाल डीएवीवी से संबद्ध 296 कॉलेजाें के 3 लाख 6 हजार छात्र पढ़ रहे हैं। उनके लिए 800 मूल्यांकनकर्ता चाहिए, लेकिन फिलहाल संख्या 900 से ज्यादा हैं। इसी साल यूनिवर्सिटी ने 400 नए मूल्यांकनकर्ता नए जाेड़े हैं। अंग्रेजी, हिस्ट्री, साेशल साइंस, राजनीतिक विज्ञान, लॉ सहित 9 विषयों में ही कॉलेज काेड 28 में चयनित 210 नए मूल्यांकनकर्ता मिले। रिटायर्ड प्राेफेसर डॉ. संध्या वाजपेयी कहती हैं कि मूल्यांकन करते समय मूल्यांकनकर्ता काे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसकी एक गलती किसी छात्र का भविष्य खराब करती है, इसीलिए कॉपी पूरी ईमानदारी और गंभीरता से जांचना चाहिए।
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