मंगल ग्रह अब तक मिथुन राशि में था। लेकिन अब ये टेढ़ी चाल चलते हुए लौटकर एक राशि पीछे की ओर आ गया है। ये वृष राशि में 12 मार्च 2023 तक रहेगा। ज्योतिषियों का कहना है कि मंगल का इस तरह वक्री होकर राशि बदलना ठीक नहीं है। कई सालों में ऐसी स्थिति बनती है। ऐसा 46 साल पहले यानी 14 दिसंबर 1975 को हुआ था। उस समय झारखंड की कोयला खदान में पानी भरने से कई लोग मर गए थे। वहीं जनवरी 1976 में जर्मनी से उठे तूफान से यूके और अन्य देशों में बाढ़ आ गई थी। मंगल की चाल में हुए बदलाव के कारण ज्योतिषी फिर ऐसी आपदाओं की आशंका जता रहे हैं।
भविष्यवाणी: प्राकृतिक आपदा और दुर्घटनाओं की आशंका
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि मंगल की वजह से देश में आंदोलन, हिंसा, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है। हवाई या पानी से जुड़ी दुर्घटना होने की आशंका है। देश के कुछ हिस्सों में बर्फबारी और बारिश हो सकती है।
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो.रामनारायण द्विवेदी भूकंप या किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने की आशंका है। सेना और पुलिस विभाग से जुड़े बड़े मामले सामने आ सकते हैं। जल सेना की ताकत बढ़ेगी। देश की कानून व्यवस्था भी मजबूत होगी।
45 की बजाय 120 दिनों तक रहेगा वृष राशि में
मंगल अपनी सामान्य चाल के हिसाब से एक राशि में 45 दिन रहता है। लेकिन 10 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 67 दिन वृष राशि में रहा। इसके बाद अब फिर इस राशि में आ गया और 12 मार्च तक यानी 120 दिन रहेगा।
किसी ग्रह के एक राशि में अपने तय दिनों से ज्यादा रहने की स्थिति को ज्योतिष में अतिचारी होना कहते हैं। मंगल का अतिचारी होना ठीक नहीं है। इससे देश-दुनिया में अनचाहे हालात बन सकते हैं।
मंगल की वजह से 1975-76 में आपदाएं
14 दिसंबर 1975 को मंगल वक्री चाल से चलते हुए वृष राशि में आया था। जो कि 19 जनवरी 1976 तक था। जिससे 27 दिसम्बर 1975 को झारखंड के धनबाद जिले की चासनाला कोयला खदान में 372 लोगों की मौत हुई थी।
02 जनवरी 1976 को 'कैपेला' तूफान शुरू हुआ था। जिसमें 215 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी। जिससे कई समुद्री तटों पर बसे देशों में बाढ़ आ गई। इस तूफान से आयरलैंड, यूके, फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, इटली और पोलैंड में कई लोग मारे गए।
मंगल से बढ़ती है ऊर्जा लेकिन विवाद भी होते हैं
मंगल के कारण उत्साह बढ़ने लगता है। इस ग्रह से शारीरिक ऊर्जा भी बढ़ती है। ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा का कारक ग्रह कहा गया है। इस ग्रह के कारण ही इंसान में किसी भी काम को करने की इच्छा पैदा होती है। मंगल का असर हथियार, औजार, सेना, पुलिस और आग से जुड़ी जगहों पर होता है।
इस ग्रह के अशुभ असर से गुस्सा बढ़ता है और विवाद होते हैं। इसलिए मंगल की चाल टेढ़ी होने से हर काम सोच-समझकर करना चाहिए। जल्दबाजी से बचना होगा। मंगल के अशुभ असर के कारण आम लोगों में गुस्सा और इच्छाएं बढ़ने लगती हैं। इच्छाएं पूरी नहीं होने पर लोग गलत कदम उठा लेते हैं। जिससे विवाद और दुर्घटनाएं होती हैं।
वक्री यानी ग्रह का बहुत ही धीमी गति से चलना
किसी भी ग्रह की चाल धीरे-धीरे कम होती है। जब वो ग्रह धीमी गति से चलता है और एक समय ऐसी स्थिति आ जाती है कि पृथ्वी से उस ग्रह को देखने पर लगता है कि वो पीछे की ओर चल रहा है। इस स्थिति को ही ग्रह का वक्री होना कहा जाता है। ज्योतिष में ग्रह की ऐसी स्थिति का भी विशेष
फल बताया गया है।
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