Header Ads Widget

Responsive Advertisement

संक्रमण पर दवाइयां होने लगी हैं बेअसर:विश्व में फंगल इंफेक्शन से हर साल 50 लाख से ज्यादा मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक फंजाई (फफूंद) की रैंकिंग जारी कर ऐसे जीवाणुओं की ओर ध्यान खींचा है जिनकी अक्सर अनदेखी होती है। ये बड़े पैेमाने पर फैल चुके हैं। जानलेवा हैं और इलाज प्रतिरोधी हैं।

संगठन ने 19 फंगल बीमारियों की सूची बनाई है। इनमें चार को बेहद गंभीर की श्रेणी में रखा है। दुनिया में हर साल फंगल इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों से 50 लाख से अधिक मौतें होती हैं। कई मौतें एचआईवी, कैंसर, टीबी और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की होती हैं। ऐसे लोग संक्रमणों के शिकार अधिक होते हैं। स्वास्थ्य अधिकारी कहते हैं, फंगल इंफेक्शन से मौतों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है क्योंकि खासकर गरीब देशों में कई अस्पतालों और क्लीनिकों के पास उनकी पहचान करने के साधन नहीं हैं। बीमारियों के नियंत्रण पर फोकस करने वाले डब्लूएचओ के अधिकारी डॉ. कारमेम पेसोआ सिल्वा का कहना है, हम समस्या की गंभीरता पूरी तरह नहीं जानते हैं। जलवायु परिवर्तन ने कुछ संक्रमणों की भौगोलिक रेंज को बढ़ाया है। कोरोना वायरस महामारी से भी फंगल इंफेक्शन में बढ़ोतरी हुई है। इंटेसिव केयर यूनिट में भर्ती कई कोरोना मरीज केंडिडा ऑरिस जैसे अड़ियल रोगाणु के शिकार हुए। ये ऑक्सीजन टूयूब और इंट्रावीनस लाइनों के जरिये शरीर में घुसपैठ करते हैं। भारत में दुर्लभ लेकिन बेहद आक्रामक रोगाणु म्यूकोरमाइसिस ने हजारों कोरोना मरीजों को प्रभावित किया था। बीमारी को ब्लैक फंगस भी कहते हैं। कई मरीजों को इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए चेहरे को बिगाड़ने वाली सर्जरी करानी पड़ी थी। एंंटीबॉयोटिक्स के लोगों और खेती में जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल के कारण कई बैक्टीरिया उनके प्रतिरोधी हो गए हैं। इसी तरह पिछले कुछ वर्षों में फंगल निरोधी दवाइयों का असर कम हो रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है, कमजोर लोगों के लिए घातक जीवाणु एस्परजिलस फ्यूमिगेटस पर दवाइयां ज्यादा असर नहीं करती हैं। अंगूर, मका और कपास जैसी कीमती फसलों में फंगस नाशक दवाइयों के भारी इस्तेमाल से ऐसा हुआ है।

मरने वालों की दर 30 प्रतिशत
फंगल इंफेक्शन के खून में प्रवेश करने के बाद इलाज मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए कैंडिडा फेमिली के फंजाई से खून में इंफेक्शन पहुंचने के बाद मरने वालों की दर 30 प्रतिशत है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट में शामिल चार खतरनाक फंजाई में शामिल कैंडिडा ऑरिस में यह दर और भी अधिक है। यह फंगस सबसे पहले 2009 में जापान में पहचाना गया था। यह लगभग 50 देशों में फैल चुका है। इसमें अक्सर कई दवाइयों के प्रतिरोध की क्षमता है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ