मंगलवार, 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है और इस तिथि पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी की जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र बताए गए हैं। यहां जानिए एक ऐसा किस्सा, जिसमें गुरु नानक ने संदेश दिया है कि अच्छाई को चारों ओर फैलाना चाहिए और बुराई को एक जगह समेट देना चाहिए।
चर्चित किस्से के अनुसार गुरु नानक यात्राएं करते रहते थे। यात्रा के दौरान वे अलग-अलग गांवों में ठहरते और उपदेश देते थे। उनके साथ कई शिष्य भी हमेशा रहते थे। अपने आचरण से शिष्यों को और समाज को सुखी जीवन के संदेश देते थे।
कई बार गुरु नानक ऐसे शब्द कहते थे, जिन्हें समझना आसान नहीं होता था। जो लोग उन्हें समझते थे, सिर्फ वे ही गुरु नानक की बातों को समझ पाते थे। उनकी बातें बहुत सरल होते थीं, लेकिन उनका अर्थ काफी गहरा होता था।
एक बार गुरु नानक अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे गांव में पहुंचे, जहां के लोगों ने उनका बहुत अच्छा आदर सत्कार किया। सभी के लिए खाने-पीने की बहुत अच्छी व्यवस्था की। नानक जी के सभी शिष्य गांव के लोगों से बहुत प्रसन्न थे। गांव से आगे बढ़ते समय नानक जी ने गांव के लोगों को आशीर्वाद दिया कि बिखर जाओ।
ये सुनकर शिष्यों को आश्चर्य हुआ, लेकिन उस समय किसी ने कुछ नहीं कहा। गुरु नानक अपने शिष्यों के साथ दूसरे गांव पहुंचे। वहां के लोगों ने गुरु नानक के लिए किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की, आदर-सत्कार नहीं किया। उस गांव से आगे बढ़ते समय गुरु नानक ने गांव के लोगों से कहा कि यहीं बसे रहो।
ये बात सुनकर शिष्यों को आश्चर्य हुआ। उन्होंने गुरु नानक से पूछा कि आपने अच्छे लोगों को तो बिखरने का आशीर्वाद दिया और जो लोग बुरे हैं, उन्हें बसे रहना का आशीर्वाद दे दिया। ऐसा क्यों?
गुरु नानक बोले कि जो लोग अच्छे हैं, वे बिखरेंगे तो जहां जाएंगे, वहां अच्छाई बिखेरेंगे। जो लोग बुरे हैं, उनका एक ही जगह पर बसे रहना समाज के लिए ज्यादा अच्छा है। बुरे लोग फैलेंगे तो बुराई भी फैलेगी। हमें अच्छाई को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहिए और बुराई को एक जगह तक सीमित कर देना चाहिए। इसी में समाज का भला है।
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