- सुरक्षित सफर की कवायद }अभी हर 10 से 15 मिनट में एक बस, सवारी बैठाने की होड़ में तेज गति से दौड़ाते हैं, ओवरटेक करते हैं
इंदौर-खंडवा रूट पर पिछले एक महीने में 230 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं। इनमें एक दर्जन से ज्यादा मौतें हुई हैं। लगातार बढ़ते हादसों के बाद परिवहन विभाग ने तय किया है कि इस रूट पर बसों के टाइम की फ्रीक्वेंसी फिर से तय की जाएगी। अभी इस रूट पर हर 10 से 15 मिनट में एक बस सरवटे बस स्टैंड से चलती है। सवारी के लालच में बसों को अंधाधुंध गति से दौड़ाया जाता है। ओवरटेक किया जाता है।
इस पर कंट्रोल के लिए दो बसों के बीच टाइम गैप और बढ़ाया जाएगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही बस ऑपरेटरों के साथ बैठक होगी। परमिट का दोबारा परीक्षण होगा। आरटीओ प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा मंगलवार को बस ऑपरेटरों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद परमिट का परीक्षण किया जाएगा। आंशिक बदलाव परमिट के टाइम में किया जाएगा। यह पहला रूट होगा, इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में किया जाएगा।
- 160 से ज्यादा बसें इंदौर-खंडवा के बीच आने-जाने में
- 75 से ज्यादा बसें इंदौर-बुरहानपुर रूट पर चलती हैं
- 50 से ज्यादा बसें सनावद, ओंकारेश्वर के बीच
- 15 से ज्यादा बसें खंडवा रूट के अलग-अलग शहरों के लिए चल रहीं
- 130 किमी का रूट है इंदौर-खंडवा
(परिवहन विभाग, बस ऑपरेटर और बस स्टैंड से मिली जानकारी के अनुसार)
स्टैंड पर सिर्फ 15 मिनट का स्टे टाइम, लौटने की जल्दबाजी हादसों की बड़ी वजह
इंदौर से खंडवा और खंडवा से इंदौर बसें औसत साढ़े 4 घंटे में पहुंचती हैं। दोनों ओर बसों का स्टे टाइम सिर्फ 15-15 मिनट है। लौटने की जल्दबाजी ही दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। ड्राइवरों का कहना है, अगर स्टे टाइम बढ़ा दें तो लौटने की हड़बड़ाहट नहीं रहेगी। इस रूट पर नियमित सफर करने वाले एक गारमेंट व्यापारी का कहना है एक बस को सुबह से रात तक खंडवा-इंदौर के बीच 4 राउंड लगाना होते हैं। नतीजा बसें तेजी से दौड़ाई जाती हैं। इसलिए आरटीओ को इन बसों को सिर्फ एक फेरे का परमिट देना चाहिए। खराब सड़कें भी हादसों की एक वजह है।
पूरे रूट पर 30 से ज्यादा खतरनाक टर्न, सामने से आने वाला नहीं दिखता
घाट और गांवों के बाहर ऐसे टर्न हैं, जहां सामने से आने वाला वाहन नहीं दिखता। इन ब्लैक स्पॉट को खत्म करना जरूरी है। पहला खतरनाक टर्न कनाड़ के पहले का है। यहां एस टाइप टर्न है। यहां सामने से आने वाले वाहन नहीं दिखते। फिर भेरूघाट और बाई घाटों पर भी 8 ऐसे ही टर्न हैं। फिर चोरल के आगे कटी घाटी, गवालू की चोर बावड़ी, बलवाड़ा के टर्न भी खतरनाक हैं।
ज्यादातर ड्राइवर नशा कर वाहन चलाते, चेकिंग कोई नहीं करता
बाईग्राम के सरपंच पति लवलेश मीणा के अनुसार हादसे के बाद भी इस रूट पर 100 से ज्यादा स्पीड में बसें दौड़ाई जा रहीं। ज्यादातर बस ड्राइवर और कंडक्टर नशा करके गाड़ी चलाते हैं। नशे की वजह 16-16 घंटे तक गाड़ियां चलाना बताते हैं। इनकी कहीं कोई चेकिंग भी नहीं होती, इसलिए बेफिक्र रहते हैं।
सालों से यह सड़क ही नहीं सुधरी, पीडब्ल्यूडी कुछ नहीं करता
चोरल के सरपंच अशोक सैनी बताते हैं यहां सभी दलों के नेता कई बार पत्र लिखकर सड़क सुधारने की मांग कर चुके, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। पीडब्ल्यूडी वाले ऐसा पैचवर्क करते हैं कि महीनेभर में ही निकल जाता है। घाटों पर लेफ्ट टर्न सुधारना चाहिए। स्पीड ब्रेकर बनाना चाहिए। गड्ढों को भरना चाहिए।
रोड पर ब्लाइंड कर्व, रंबल स्ट्रिप्स और साइन बोर्ड लगाए जाना चाहिए
खंडवा रोड पर ब्लाइंड कर्व हैं, इसलिए वहां सामने से आने वाले वाहन नहीं दिखते। यहां वाहनों की स्पीड कम करने के लिए रंबल स्ट्रिप्स लगाने और साइन बोर्ड लगाने के लिए जिम्मेदारों से बात करेंगे। हाईवे की पेट्रोलिंग की भी रेंडमली जांच होना चाहिए। इन कामों के होने से हादसे रुकेंगे।
- आरएस राणावत, रिटायर्ड डीएसपी ट्रैफिक
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