हाई कोर्ट में लंबित प्रकरणों का निराकरण जल्द से जल्द किए जाने को लेकर हाई कोर्ट प्रशासन ने तीन सकारात्मक पहल की हैं। पहली तो यह कि सुनवाई का समय सुबह सवा 10 से शाम 4.45 बजे तक किया जाए। दूसरी पहल यह है कि सप्ताह में एक दिन ऐसा हो जब किसी भी केस को आगे नहीं बढ़ाया जाए। इसे नो एडजर्नमेंट डे घोषित किया जाएगा।
वहीं तीसरी पहल के तहत हाई कोर्ट में अवकाश की संख्या भी कम कर दी गई है। कोर्ट के समय को लेकर जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर खंडपीठ की हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से सुझाव भी मांगे गए हैं। इसे लेकर चीफ जस्टिस सहित अन्य जज की पदाधिकारियों से एक बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा भी हो चुकी है। वर्तमान में सुबह सवा 10 से शाम साढ़े चार बजे तक सुनवाई हो रही है।
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ द्वारा कामकाज का समय बढ़ाए जाने को लेकर यह दूसरा प्रयास है। इसके पूर्व जब वे मध्यप्रदेश आए थे तब उन्होंने कोर्ट का समय सुबह साढ़े 10 बजे के बजाए सवा दस बजे से किया था। लंच का समय भी 15 मिनट घटाया था। इस तरह कोर्ट में कामकाज का समय आधे घंटे बढ़ाया गया। अब 15 मिनट का इजाफा ओर किया जा सकता है। शाम पौने पांच बजे तक कोर्ट खुली रह सकती है।
दीपावली और दशहरा का अवकाश कम, शनिवार को भी काम पर विचार...
हाई कोर्ट प्रशासन ने वर्ष 2023 का कैलेंडर भी जारी किया है। हर बार दशहरा का अवकाश 8 और दीपावली का 10 दिन का रहता था। इस बार दशहरा पर दो और दीपावली पर महज 4 दिन ही छुट्टी रहेगी। वहीं महीने के चार शनिवार में से दो शनिवार कोर्ट खुली रहने और दो शनिवार रजिस्ट्री चालू रखे जाने पर भी विचार किया जा रहा है।
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