विदेशी नस्ल के एक तोते ने इंदौर की गलियों में ऐसा कौतुहल पैदा कर दिया कि पुलिस से लेकर फॉरेस्ट अफसर तक को मैदान में उतरना पड़ा। तीन घंटे चली माथापच्ची के बाद न तो उसका मालिक आया, न उसकी पहचान हो पाई।
यह अफवाह फैल गई कि तोते के गले में चमचमाती चेन थी, फिर क्या था? एक के बाद एक कई दावेदार सामने आ गए और कहा ये तोता हमारा है? लेकिन, फिर भी इसे किसी को नहीं दिया गया, बल्कि इंदौर जू में रखवाना पड़ा। आखिर क्या कारण है कि इस बेजुबान तोते की, जिसकी 48 घंटे से खातिरदारी हो रही है…. क्यों कोई मालिक अपना दावा साबित नहीं कर पा रहा है…
जिसकी छत पर बैठा, उसने ही दावा कर दिया कि मेरा है…
ये तोता है मकाऊ…। इंदौर के हीरानगर क्षेत्र के बजरंग नगर में रविवार जो वाकया हुआ, उससे सब हैरान थे। यह तोता अचानक उड़कर आया और देवेंद्र ललावत के घर पर जाकर बैठ गया। सामान्य तोते से चार गुना बड़े तोते को देखने के लिए लोग छतों पर चढ़ गए। वह कभी इस छत पर बैठता तो कभी दूसरे की..। कुछ ही देर बाद देवेंद्र ने उसे पकड़ा और अपने घर ले आया।
यह देख तो जैसे कॉलोनी और आसपास के इलाकों में हाहाकार मच गया। लोग कहने लगे कि ये तोता उसका नहीं है, हमारा है। एक के बाद कई लोग उसके घर के बाहर जुटने लगे। विवाद की नौबत आ गई तो किसी ने डायल 100 को खबर दे दी। पुलिस आ गई और मामला समझने की कोशिश करती रही।
दरअसल, विदेशी नस्ल के मकाऊ की कीमत डेढ़ लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक होती है। दूसरा, यह अफवाह थी कि उसके गले में कोई चमकता लॉकेट है, पैर में भी गोल रिंग है…। इसके बाद तो जैसे उसके दावेदारों की बाढ़ आ गई।
पुलिस भी चकरघिन्नी हुए जा रही थी कि आखिर क्या करें..। तोता देवेंद्र से लिया और देखा तो गले में चेन तो नजर नहीं आई। पैर में जरूर एक रिंग लगी थी।
देवेंद्र ने कहा कि यह तोता कहीं से उड़कर आया था। हमने सिर्फ पकड़ा और रख लिया था। पुलिस और चिड़ियाघर वालों को खबर देकर हमने ही बुलाया था।
जू में पहुंचा तोता,विहार में अलग कमरे में रखा
डॉयल 100 के सुरेन्द्र सिंह जादौन मौके पर थे। उन्होंने मामले में इंदौर के प्राणी संग्रहालय के मैनेजमेंट से जुड़े यश भावे से बात की। वह तोते को लेने बजरंग नगर पहुंचे। यहां से उसे जू पहुंचा दिया गया। उसे पक्षी विहार के पास अलग कमरे में रखा गया है। तोता किसी का पला हुआ है। फिलहाल जू प्रबधंन इसकी देखरेख कर रहा है।
इसकी खातिरदारी इसलिए भी जरूरी है कि यह तोता हर कोई पाल नहीं सकता। ऐसे में कोई हाइप्रोफाइल मालिक सामने आ जाता है और कोई कमी पेशी हुई तो जू मैनेजमेंट के लिए भी दिक्कत हो सकती है।
लाइसेंस पेश करना जरूरी होगा
यह तोता सिर्फ सरकारी लाइसेंस के आधार पर ही पाला जा सकता है। कोई भी मालिक यदि दावा करेगा तो उसे लाइसेंस पेश करना होगा। अवैध रूप से विदेशी नस्ल का तोता पालने पर कार्रवाई या जुर्माना हो सकता है।
जानिए इस लखटकिए तोते के बारे में
मकाउ तोता दरअसल साउथ अफ्रीका और अर्जेटीना में पाया जाता है। पिछले कुछ सालों में सैलानियो को आकर्षित करने के लिए भारत में इसे बेचा जाने लगा। इसकी कीमत डेढ़ लाख से शुरू होती है। कई लोग इन्हें आसमान पर छोड़ने के लिये पैरों में GPS लगवाते हैं ताकि इसे कोई चुरा नहीं सके।
आम तोते से चार गुना बड़ा
पक्षी प्रेमी के मुताबिक मकाउ का आकार आम तोतों के मुकाबले 4 गुना बड़ा होता है इसलिए इन्हें रखने के लिए विशेष केज बनाया जाता है। इसके साथ ही मकाउ तोतों को कोई भी भाषा सिखाने में लंबा वक्त लगता है। इनकी आवाज काफी तीखी और कर्कश भरी होती है। आमतौर पर मकाउ की उम्र 60 से 70 साल के बीच होती है।
भारत में तोतों को पालना गैरकानूनी है। मकाउ विदेशी प्रजाति का तोता है जिसे पालना भारत में वैधानिक है। ऐसे में वन विभाग द्वारा लाइसेंस जारी कर मकाउ की बिक्री की जाती है। दुकानदार द्वारा ही लाइसेंस प्रक्रिया की जाती है। खरीददार को दुकानदार ही लाइसेंस उपलब्ध करवाते हैं, ताकि भविष्य में उन्हें वन विभाग या फिर किसी अन्य तरह की समस्या ना आए।
इंदौर के पक्षी प्रेमी कस्टमर को रिझाने के लिए लाए थे मकाउ तोता
शहर में पक्षी प्रेमी पराग ने कुछ साल पहले इन तोते को बेचने का काम शुरू किया था। बेटरी वाली लाल कार में उसकी विजयनगर से रैली भी निकाली थी। इसके बाद शहर में कई लोगों ने इन्हें फारेंस्ट डिपार्टमेंट की अनुमति के बाद पालना शुरू किया था।
कुछ समय पहले गोराकुंड पर सागर ज्यूस के संचालक राजू सागर मकाउ प्रजाति का तोता लेकर आए थे। जिसे देखने दूर दूर से लोग उनकी दुकान पर आते है। इसे करीब 20 साल वह दो लाख रूपये कीमत में लेकर आए थे। इसके बाद कई लोगो ने शहर में इसे पालना शुरू किया था।
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