- ऑनलाइन ठगी के डर से लोग जानकारी देने में हिचक रहे
बिजली कनेक्शन के लिए 2 डिमांड ऐसी की जा रही है, जो उपभोक्ताओं के गले नहीं उतर रही। कंपनी के ऊर्जस एप पर नए कनेक्शन के आवेदन के साथ कैंसल चेक मांगे जा रहे और बैंक खाता नंबर भी पूछा जा रहा है। इन दो डिमांड को पूरा किए बिना फॉर्म स्वीकार नहीं हो रहा, फीस की राशि भी जनरेट नहीं हो रही।
नतीजा, 5 दिन से एक भी आवेदन मंजूर नहीं हुआ। लोग गोपनीय जानकारी इस तरह सार्वजनिक करने को तैयार नहीं हैं। शहर में साढ़े 7 लाख कनेक्शन हो गए, लेकिन किसी भी उपभोक्ता से उसका बैंक खाता नंबर इसके पहले नहीं पूछा गया।
1 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को सूचना नहीं मिल रही
कागजी बिल बंद करने के बाद भी उपभोक्ताओं को मोबाइल पर बिल नहीं मिल रहे हैं। करीब 4 लाख उपभोक्ता ऑनलाइन बिल जमा कर रहे हैं। नियमित उपभोक्ता तो जोन पर जाकर बिल के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन 1 लाख के लगभग ऐसे भी उपभोक्ता हैं जिन्हें बिल नहीं मिल रहे हैं।
जोन कार्यालयों पर नहीं मिल रहा कागजी बिजली बिल
जोन कार्यालयों पर प्रिंटर तो लाकर रख दिए हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को बिल नहीं मिल रहे हैं। उनके नंबर लेकर मोबाइल पर ही बिल भेजा जा रहा है। आईटी शाखा के प्रभारी इंजीनियर सुनील पाटोदी के मुताबिक बैंक खाता इसलिए मांगा जा रहा है कि आवेदन निरस्त होने, कोई राशि लौटाने के लिए आवेदक के खाते में ही पैसा जमा हो जाए। खाता नंबर देना अनिवार्य नहीं रहेगा।
ऑनलाइन ठगी के केस हर दिन सामने आ रहे, इसलिए चिंता
बिजली कंपनी ने खुद को कथित रूप से पेपरलेस बनाने उपभोक्ताओं पर जबरन डिजिटल बिल थोप दिया है। बिजली कंपनी का बिल मैसेज और साइबर फ्राॅड करने वालों के मैसेज में खास अंतर उपभोक्ताओं को नजर नहीं आता। कम पढ़े लिखे उपभोक्ताओं की सबसे ज्यादा मुसीबत हो रही है। उनके साथ रोजाना ठगी के मामले आ रहे हैं। बिजली कंपनी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ अपील जारी कर रही है, जबकि डिजिटल सिस्टम को विकल्प के रूप में रखा जाना चाहिए था।
- 7.5 लाख बिजली कनेक्शन हैं जिले में
- 04 लाख लोग ऑनलाइन बिल भरते हैं
- 01 करोड़ यूनिट हर दिन खपत
- 30 जोन पूरे शहर में
- 05 डिविजन हैं उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और मध्य
- 16 जिले आते हैं इंदौर-उज्जैन संभाग के कंपनी क्षेत्र में
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