कुछ समय पहले तक चीन दुनिया में कोविड-19 का अंतिम ठिकाना था। लेकिन, कुछ सप्ताहों के अंदर वहां वायरस की भयावह लहर चलने की आशंका जताई जा रही है। इस सप्ताह बीजिंग ने कोविड के साथ रहने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है। अलोकप्रिय और नुकसानदेह जीरो-कोविड नीति के तहत लॉकडाउन और क्वारंटीन को त्याग दिया है। विरोध के बीच अचानक यह कदम उठाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी बोझ पड़ने की संभावना है। नए वर्ष की छुटि्टयों में आवाजाही बढ़ने से स्थिति बदतर हो सकती है। चीन की कोविड टास्क फोर्स के एक सलाहकार फेंग जिजियन ने कहा कि देश की 60 प्रतिशत आबादी या 84 करोड़ से अधिक व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं। अन्य देशों के समान चीन अब बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट का सामना कर रहा है। यह पहले वायरस के मुकाबले हल्का है। चीन के पास इस स्थिति से निपटने के लिए तीन साल का समय था। लेकिन, उसने वैक्सीनेशन और जनता को कोविड के साथ रहने के लिए तैयार करने की बजाय लॉकडाउन पर अधिक जोर दिया है। हांगकांग यूनिवर्सिटी में वायरस विशेषज्ञ जिन डोंग यान का कहना है, संक्रमण की सुनामी आना ही है। जीरो-कोविड के होने और न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। देश में संक्रमण की मौजूदा स्थिति अस्पष्ट है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य कमीशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार को देश में 159 गंभीर मामले थे। यह पिछले सप्ताह से लगभग 100 ज्यादा है। जिन का कहना है, बहुत सारे मामले सामने नहीं लाए जा रहे हैं। बहरहाल, सरकार बड़ी लहर से निपटने की तैयारी कर रही है। अधिकारियों ने अस्पतालों में इंटेंसिव केयर बिस्तरों की संख्या दोगुनी करने और डॉक्टरों, नर्सों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। पहले क्वारंटीन के लिए तैयार अस्थायी स्थानों को अस्पतालों में बदला जा रहा है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे दहशत में आकर दवाइयां और अन्य खरीदारी न करें। कहा गया है, जरूरतमंद लोगों के लिए दवाइयां बचने दें।
बेरोजगारी 20 प्रतिशत, युवाओं में हताशा
बीजिंग में यूनिवर्सिटी छात्रा 21 साल की मेंडी लियू का कहना है, देश का भविष्य अनिश्चित नजर आता है। वे अगले साल ग्रेजुएट हो जाएंगी। उन्होंने नौकरी के लिए 80 से ज्यादा आवेदन दिए हैं लेकिन उन्हें एक भी ऑफर नहीं मिला है। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान चीनी युवाओं में असंतोष साफ दिखाई पड़ा है। जीरो कोविड नीति के खिलाफ बीजिंग सहित कई शहरों में युवा सड़कों पर आ गए थे। कोविड प्रतिबंध तो अब शिथिल हो चुके हैं लेकिन, बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है। जुलाई में 16 से 24 साल की आयु के युवाओं में बेरोजगारी की दर बीस प्रतिशत थी। जॉब साइट झाओपिन के एक सर्वे के अनुसार 2022 में रोजगार पाने वाले कॉलेज ग्रेजुएट्स का वेतन 2021 में ग्रेजुएट हुए लोगों से 12 प्रतिशत कम रहा।
एलेक्जेंड्रा स्टीवेंसन, जॉय डांग, ओलिविया वांग © The New York Times
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