जब हम मुसीबत में फंसते तो घर-परिवार के लोग और कभी-कभी परिवार से बाहर के लोग भी हमारी मदद करते हैं। जो हमारा साथ देता है, उसे कभी भूलना नहीं चाहिए। जब हमारा मददगार किसी समस्या में
फंसता है तो उसकी मदद जरूर करें। ये बात कुंती ने अपने पांचों पुत्रों को समझाई थी।
महाभारत की घटना है। पांचों पांडव कुंती के साथ जंगल में रह रहे थे। वनवास के दौरान वे एक गांव में पहुंचे, जहां एक राक्षस रोज आता और गांव के लोगों को खा जाता। जब कुंती और पांडव उस गांव में पहुंचे, तब एक ब्राह्मण परिवार को राक्षस का भोजन बनना था।
गांव के लोग कुंती और पांचों पांडव को पहचानते नहीं थे। जब कुंती को ये बात मालूम हुई तो कुंती उस ब्राह्मण से बोली कि आपका छोटा सा परिवार है। आज आप अपने परिवार के साथ राक्षस के पास न जाएं। आज मेरा एक बेटा उस राक्षस के पास जाएगा।
ब्राह्मण बोला कि ये बात सही नहीं है। मैं अपने परिवार को बचाने के लिए किसी और की बलि नहीं दे सकता।
कुंती ने उस व्यक्ति को समझाया कि मेरे पांच पुत्रों में एक ऐसा है, जो उस राक्षस को मार सकता है। आप चिंता न करें। आज उस राक्षस से इस गांव को मुक्ति मिल जाएगी।
कुंती ने भीम से कहा कि आज तुम उस राक्षस के पास जाओ और उसका अंत करो।
ये बात सुनकर युधिष्ठिर ने कुंती से कहा कि ये बात ठीक नहीं है। आप अपने पुत्र को मरने के लिए भेज रही हैं।
कुंती ने पांचों पांडवों को समझाया कि तुम्हारी बात सही है, लेकिन मैं जानती हूं कि भीम बहुत बलवान है और मुझे भरोसा है कि वह इस राक्षस का वध कर देगा। भीम की वजह से इस गांव के लोगों को राक्षस से मुक्ति मिल जाएगी। गांव के लोगों ने हमारी मदद की है और हमारा भी कर्तव्य है कि इनकी मुसीबत में हम इनकी मदद करें।
इसके बाद भीम उस राक्षस के पास गया और उसका वध कर दिया।
जीवन प्रबंधन
इस प्रसंग में कुंती ने संदेश दिया है कि जब कोई हमारी मदद करता है तो हमें उसका उपकार याद रखना चाहिए और जब वह मुसीबत में हो तो हमें उसकी मदद करनी चाहिए।
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