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कैसे हुआ अर्जुन और सुभद्रा का विवाह?:श्रीकृष्ण की सीख; जब संतान का रिश्ता तय करना हो तो वर्तमान के साथ ही भविष्य की संभावनाओं पर भी ध्यान दें

घर-परिवार में जब भी किसी संतान के विवाह का रिश्ता तय किया जाए तो वर्तमान और बीते समय की जानकारी लें और साथ ही लड़के या लड़की के भविष्य की संभावनाओं पर भी जरूर ध्यान देना चाहिए। जब अर्जुन ने सुभद्रा का अपहरण किया था, उस समय बलराम अर्जुन को मारना चाहते थे, तब ये बात श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कही थी।

महाभारत का प्रसंग है। सुभद्रा श्रीकृष्ण और बलराम की बहन थीं। बलराम की इच्छा थी कि सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से हो, लेकिन सुभद्रा अर्जुन से विवाह करना चाहती थीं।

श्रीकृष्ण ये बात जानते थे। उन्होंने अर्जुन से कहा कि तुम सुभद्रा से विवाह कर लो। श्रीकृष्ण की बात मानकर अर्जुन ने सुभद्रा का अपहरण कर लिया।

जब ये खबर बलराम को मिली तो वे बहुत गुस्सा हो गए और सभी यदुवंशियों से कहा कि अर्जुन से युद्ध की तैयारी करो। यदुवंशियों ने युद्द की तैयारी कर ली, लेकिन श्रीकृष्ण शांति से ये सब देख रहे थे।

बलराम ने श्रीकृष्ण को शांत देखा तो पूछा कि तुम चुपचाप क्यों बैठे हो? तुम्हारे कहने पर ही हमने अर्जुन को इतना सम्मान दिया, लेकिन उसने हमें धोखा दिया है।

श्रीकृष्ण ने बलराम से कहा कि इस समय आप सभी गुस्से में हैं। इसलिए ऐसी बातें कर रहे हैं। अगर आप अर्जुन को मार देंगे तो आपकी ही बहन विधवा हो जाएगी। अर्जुन कुंती पुत्र हैं, वह भी सामान्य व्यक्ति नहीं है। हमें अपनी बहन के लिए योग्य वर चुनना चाहिए। वर चुनते समय उसके वर्तमान और भूतकाल के साथ ही भविष्य की संभावनाओं को भी ध्यान रखना चाहिए। आपको दुर्योधन पसंद है, लेकिन मुझे मालूम है कि दुर्योधन का भविष्य अच्छा नहीं है, वह अंहकारी है, अधर्मी है। जबकि अर्जुन धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति है। हमें इस बात से खुश होना चाहिए कि सुभद्रा ने एक योग्य वर का चुनाव किया है।

श्रीकृष्ण की बातें सुनकर बलराम का गुस्सा शांत हो गया। इस तरह अर्जुन और सुभद्रा का विवाह हुआ और सभी ने उन्हें अपना लिया।

जीवन प्रबंधन

इस प्रसंग में श्रीकृष्ण ने हमें ये सीख दी है कि घर-परिवार में जब भी किसी व्यक्ति का रिश्ता तय हो, तब हमें बहुत सतर्क रहना चाहिए। अपनी संतान का जीवन साथी चुनते समय उसके वर्तमान और पिछले समय की जानकारी जरूर रखें, साथ ही उसके भविष्य की संभावनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। तभी हमारी संतान का भविष्य सुखद बन सकता है।


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