टाेक्याे ओलिंपिक की मेडलिस्ट मुक्केबाज लवलीना बाेरगाेहेन मंगलवार काे भाेपाल के तात्या टाेपे स्टेडियम में मुक्के बरसाएंगी। वे यहां सीनियर महिला एलीट बाॅक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने आई हुई हैं। मैच की पूर्व संध्या पर सोमवार को उन्हाेंने टीटी नगर स्टेडियम में जमकर अभ्यास किया। देश की 320 महिला खिलाड़ी इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी। इसी दाैरान उन्हाेंने कॅरियर की शुरुआत से लेकर ओलिंपिक तक के सफर पर दैनिक भास्कर से विस्तार से चर्चा की।
भोपाल नेशनल से गोल्ड जीतकर जाना चाहूंगी
जैसा की सभी को मालूम है कि मैं ओलिंपिक मेडल के बाद मुझे असम पुलिस में डीएसपी पद पर नियुक्ति मिली है। लेकिन विभाग ने मुझे ड्यूटी की चिंता छोड़कर अपने खेल पर फोकस करने का कहा है। इसलिए मैं पूरे मन से लगी हूं कि पहले एशियाड, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और फिर ओलिंपिक में गोल्डन पंच लगा सकूं। हालांकि अभी तो मैं भोपाल नेशनल से गोल्ड जीतकर जाना चाहूंगी।
मैं किसान की बेटी हूं... हर हाल में पेरिस में ओलिंपिक मेडल का कलर चेंज करना चाहती हूं
मैं किसान की बेटी हूं। हम तीन बहन हैं। हमारे यहां धान की खेती हाेती है। गुवाहाटी से 8 घंटे के सफर के बाद मेरा गांव है गोलघाट। यहीं पर हमारी खेती है। खेत उतना ही जिसमें सालभर का चावल हो जाता है। पिता और मां दोनों खेत जाते हैं। ओलिंपिक मेडल के बाद भी मैं और मेरा परिवार बदला नहीं हैं, आज भी मुझे जब भी समय मिलता है तो मैं खेत जरूर जाती हूं। वैसे मैं बता दूं कि बचपन में मैं और मेरी दोनों बड़ी बहनें, जिनकी शादी हो चुकी है। मार्शल आर्ट्स की एक विधा किक बॉक्सिंग खेलती थी, मार्शल आर्ट्स, इसलिए क्योंकि यह खेल सेल्फ डिफेंस में सहायक होता है।
लेकिन इसमें आगे कॅरियर कुछ नहीं होता है, इसलिए मैं बॉक्सिंग पर फोकस करने लगी। बॉक्सिंग की सलाह मुझे मेरी बहनों ने दी। चूंकि मेरी लंबाई अच्छी है। इसका मुझे फायदा भी मिला। मैं दूर से प्रहार कर सकती हू्ं। मैं पहली ही बार में साई के लिए चुन ली गई। और फिर एक के बाद एक सफलता प्राप्त करती चली गई। लेकिन अभी रुकना नहीं चाहती। मैं पेरिस में ओलिंपिक मेडल का कलर चेंज करना चाहती हूं। मेरा सपना भी गोल्ड मेडल ही है। मैं इसी के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी मेडल जीतना चाहंूगी। अगली वर्ल्ड चैम्पियनशिप इंडिया में ही हो रही है तो फिर यह और भी खास हो जाता है।
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