मां अन्नपूर्णा के नए मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। मंदिर के शिखर का काम भी पूरा हो गया। यह शिखर 18 टन वजनी है। इसके साथ ही शिखर के पांच कलश पर आधा किलो सोना लगा है। यह सोना मंदिर को 21 भक्तों ने दान दिया। अब मंदिर की मूर्तियां नए मंदिर में शिफ्ट होंगी।
नया मंदिर 81 फीट ऊंचा बना है। तीन साल में 22 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है। पूरा मंदिर संगमरमर से बना है, लोहे का उपयोग कहीं भी नहीं किया गया। मंदिर 6400 वर्गफीट में बना है। पुराने मंदिर से दोगुना से ज्यादा जगह है। भक्तों को अब नए मंदिर में और आसानी से दर्शन होंगे।
मंदिर में 1250 से ज्यादा मूर्तियां
मंदिर के गर्भगृह, गुंबज से लेकर 51 स्तंभ, अंदर-बाहर सभी स्थानों पर 1250 से ज्यादा मूर्तियां रहेंगी। गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा, मां सरस्वती और मां कालिका की मुख्य मूर्ति रहेगी, जबकि गर्भगृह के आसपास और गुंबज पर गणेशजी, रिद्धि-सिद्धि, लाभ-शुभ, अष्टलक्ष्मी, दश महाविद्या, 64 योगिनी, 27 नक्षत्र की मूर्तियां की रहेंगी।
खंभ और अंदर-बाहर के हिस्सों में शिव परिवार, राधाकृष्ण की मूर्तियों के साथ ही राधाकृष्ण रासलीला, रामायण, महाभारत के प्रमुख प्रसंग भी संगमरमर पर कलाकारों द्वारा उकेरने का काम चल रहा है। ओडिसा, राजस्थान और गुजरात के लोग मंदिर निर्माण और मूर्तियां उकेरने में जुटे हुए हैं। मंदिर के स्वामी जयेंद्रानंदगिरी स्वामी कहते हैं छोटी-बड़ी मिलाकर 1250 से ज्यादा मूर्तियां रहेंगी।
अन्नपूर्णा माता मंदिर का 18 टन वजनी शिखर। मुख्य महोत्सव के लिए यहां पर सजावट की जा रही है।
6400 वर्गफीट का है मंदिर
40,000
घनफीट मार्बल लगा
- 52 खंभों पर मंदिर का निर्माण।
- 64 योगिनी की मूर्तियां स्थापित की गईं।
- 22 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है नया मंदिर
- 2020 में शुरू हुआ था मंदिर का काम
2020 में शुरू हुआ था कायाकल्प, 26 जनवरी से 3 फरवरी तक मंदिर बंद रहेगा
मंदिर ट्रस्ट के श्याम सिंघल और आयोजन समिति से जुड़े किशोर गोयल ने बताया नए मंदिर का निर्माण कार्य 20 जनवरी 2020 को महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंदगिरि महाराज के सान्निध्य में शुरू हुआ था। मंदिर निर्माण में समाजसेवी विनोद अग्रवाल सहित अन्य भक्तों ने सहयोग किया था। मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का मुख्य महोत्सव 31 जनवरी से शुरू होगा।
3 फरवरी को अभिजित मुहूर्त में प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इससे पहले 26 जनवरी से 3 फरवरी तक मंदिर बंद रहेगा। संभवत: पहला मंदिर होगा, जहां पर इतनी मूर्तियों और रामायण-महाभारत के प्रसंग के दर्शन होंगे। खास बात यह है कि मंदिर निर्माण में कहीं भी कील का उपयोग नहीं किया गया। संगमरमर से पूरे मंदिर का निर्माण हो रहा है।
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