परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस फिलहाल एक बड़ी समस्या बन गया। कारण यह है कि आठ हजार से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस पेंडिंग हो गए हैं। कई आवेदक तो ऐसे हैं, जिन्होंने डेढ़-दो महीने पहले ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ट्रायल दिया था, लेकिन उन्हें अब तक कार्ड नहीं मिला है।
लगातार लोग परेशान हो रहे हैं। कई आवेदक इस मामले में परिवहन विभाग के अधिकारियों से भी मिले। उधर, परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कार्ड पेंडिंग होने के पीछे बड़ी वजह यह है कि ड्राइविंग लाइसेंस के कार्ड नहीं आ रहे हैं।
रोज 500 से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं, लेकिन फिलहाल हर तीन दिन में 100-150 कार्ड बमुश्किल आ रहे हैं। इस वजह से परेशानी बढ़ती जा रही है। एआरटीओ अर्चना मिश्रा ने कहा जैसे-जैसे कार्ड आ रहे हैं लोगों को बनाकर दिए जा रहे हैं। ज्यादा संख्या में कार्ड आए इसे लेकर भी लगातार मांग की जा रही है, ताकि सारे पेंडिंग कार्ड प्रिंट कर दिए जाए।
लोग परेशान होकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में कर रहे शिकायतें
अब एक ओर जहां कार्ड नहीं हैं। वहीं, दूसरी ओर जिन लोगों के कार्ड नहीं आ रहे हैं, उनमें से कई लोग सीएम हेल्पलाइन में शिकायतें कर रहे हैं। इन शिकायतों के बाद जितने कार्ड आ रहे हैं, शिकायत करने वालों को लाइसेंस बनाकर दिए जा रहे हैं। इस वजह से भी आम लोगों के लाइसेंस नहीं बन पा रहे हैं। परिवहन विभाग अब पेंडिंग की लिस्ट बना रहा है, ताकि पहले उनके लाइसेंस बनाए जा सकें।
पहले भी हो चुके हैं कार्ड पेंडिंग
ड्राइविंग कार्ड में लगने वाली चिप चीन से आती है। वहां से चिप की कमी के कारण यह कार्ड नहीं आ रहे हैं। इस वजह से परेशानी बढ़ रही है। चार-पांच महीने पहले भी रजिस्ट्रेशन अौर ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड करीब 16 हजार पेंडिंग हो गए थे। उसके बाद एक साथ कार्ड आए तो पहले पेंडिंग क्लियर की गई थी। अब दोबारा यही परेशानी आ गई।
इधर, आईटीआई में महिलाओं की नि:शुल्क ड्राइविंग की आठवीं बैच 6 फरवरी से
आईटीआई में परिवहन विभाग द्वारा महिलाओं को एक महीने की ड्राइविंग की नि:शुल्क ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है। अब 6 फरवरी से नई बैच शुरू होगी। इसमें 31 महिलाओं को फोर व्हीलर की ट्रेनिंग, प्रमाण-पत्र और नि:शुल्क ड्राइविंग लाइसेंस भी दिया जाएगा। महिलाओं के रोजगार के लिए विभाग यह ट्रेनिंग देगा।
एआरटीओ अर्चना मिश्रा ने बताया इस ट्रेनिंग में जरूरतमंद महिलाएं, आर्थिक रूप से कमजोर या जो भी महिलाएं ड्राइविंग सीखना चाहती हैं, वे इसमें शामिल हो सकती हैं। एक महीने की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्होंने बताया अब तक सात बैच लग चुकी हैं। इसके माध्यम से 259 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब ज्यादातर महिलाएं खुद रोजगार से जुड़कर परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।
इसके साथ ही 15 महिलाओं को ई-रिक्शा में मदद समाजसेवियों के माध्यम से की गई। ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रभारी अनिल कुमार शर्मा ने बताया जो भी महिलाएं नई बैच में ट्रेनिंग लेना चाहती हैं वे आईटीआई परिसर के ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (डीटीआई) में आकर आवेदन कर सकती हैं।
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