राष्ट्रीय पर्व की शुरुआत विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से हुई। देश भर में सबसे पहले त्यौहारों को महाकाल मंदिर में मनाए जाने की परम्परा है। तड़के 4 बजे होने वाली भस्म आरती में भगवान के मस्तक पर तिरंगे से श्रृंगार किया गया। नंदी भी तीन रंगों के वस्त्र में दिखाई दिए।
भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल का जल से अभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया।
74वें गणतंत्र दिवस पर भगवान महाकाल का भांग, चन्दन, सिंदूर और आभूषण से मनमोहक श्रृंगार किया गया। बाबा महाकाल के मस्तक पर देश की आन बान शान तिरंगे से देश भक्ति के रूप में श्रृंगार किया गया। सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई।
नंदी को तीन रंगों के वस्त्र अर्पित किए गए। फलों और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।
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