पेन, पेपर, कार्बन पेपर, टोनर जैसी चीजों की खरीदी के लिए विभागों के अधिकार भी बढ़े
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद स्टार्टअप को गति देने के लिए राज्य सरकार ने खरीदी के नए नियम बना दिए हैं। अब सरकार के विभाग यदि एक करोड़ या इससे अधिक राशि की कोई खरीदी करते हैं तो मप्र के 2 हजार 657 स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी। उनके लिए अनुभव से जुड़ी कोई शर्त नहीं होगी, न ही टर्नओवर पूछा जाएगा यानी चंद दिन पहले कोई स्टार्टअप शुरू हुआ है तो वह भी पार्टिसिपेट कर सकेगा।
स्टार्टअप के लिए अलग से प्री-क्वालिफिकेशन रिक्वायरमेंट (पीक्यूआर) भी बनेगा। वे ग्लोबल टेंडर इंक्वायरी में शामिल होने के भी पात्र होंगे। भारत सरकार के पोर्टल में दर्ज स्टार्टअप को इस नए नियम से एक बड़ा सरकारी बाजार मिल जाएगा। इसमें भी यह तय किया गया है कि छोटे उद्योगों से 25% राशि की खरीदी होगी। मसलन अजा-अजजा के स्टार्टअप से 4 %, महिलाओं के स्टार्टअप से 3% और अन्य स्टार्टअप से 18% राशि की खरीदी होगी। 75% टेंडर होने के बाद सबसे कम दर ऑफर करने वाले स्टार्टअप से होगी। खरीदी खुले बाजार और जेम पोर्टल से होगी।
विभागों को भी दिए अधिकार
सरकारी विभागों के भी खरीदी अधिकार दो से ढाई गुना तक बढ़ा दिए गए हैं। यह बिना कोटेशन के 50 हजार तक और विभागीय क्रय समिति की अनुशंसा पर ढाई लाख तक की खरीदी खुले बाजार से कर सकते हैं।
पहले ये था
बिना टेंडर या कोटेशन
- 20 हजार तक
विभागीय क्रय समिति
- एक लाख तक
अब ये होगा
बिना टेंडर या कोटेशन
- 50 हजार तक
विभागीय क्रय समिति
- 2.5 लाख तक
नियमों में तीन साल तक का दंड भी
यदि किसी के भी द्वारा भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन किया जाता है, या सामग्री समय पर नहीं दी जाती या खराब सामग्री दी जाती है तो विभागाध्यक्ष को जांच के बाद सप्लायर को अधिकतम तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने का भी अधिकार होगा। यह प्रावधान पहली बार किया गया है। जब तक फर्म ब्लैकलिस्टेड रहेगी, उसका नाम पोर्टल पर दिखता रहेगा। बिना कोटेशन से खरीदी जाने वाली सामग्री की लागत 50 हजार से अधिक होती है तो इस पर निर्णय विभागीय क्रय समिति लेगी।
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