इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) की 29वीं कार्यशाला मंगलवार को शुरू हुई। आमजन के लिए विशेष लाइफ सेविंग सत्र हुए। डॉ. संजय धानुका, डॉ. आनंद सांघी, डॉ. विवेक जोशी, डॉ. राजेश पांडे, डॉ. निखलेश जैन ने समझाइश दी।
वेंटिलेटर दोस्त या दुश्मन
वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम है, जो शरीर में सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाकर मरीज की जान बचाने में मदद करता है। यह भ्रम है कि वेंटिलेटर पर जाने के बाद मरीज की जान नहीं बचती। वेंटिलेटर की मदद से 60 % मरीजों की जान बचा ली जाती है।
हाथ-पैर में कमजोरी, झुनझुनी, मुंह में टेढ़ापन लकवा के लक्षण, 4 घंटे में इलाज मिल जाए तो रिकवरी संभव
लकवा - शुरू के 4 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। लोग अकसर हाथ-पैर में कमजोरी, झुनझुनी आने या मुंह में टेढ़ापन देखने के बावजूद मरीज को अस्पताल लाने में देरी करते हैं, जबकि 4 घंटे में दवाई मिल जाए तो पूरे शरीर को लकवाग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।
हार्ट अटैक - 90% लोग हार्ट अटैक को गैस समझते हैं। डायबिटीज के मरीजों को दर्द नहीं होता है, इसलिए वे लक्षण नहीं समझ पाते। लोग सोर्बिट्रेट की गोली ले लेते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती है। अटैक आने पर खांसी करें, लंबी सांस लें। एक सेकंड में दो बार पांच सेंटीमीटर तक दबाना और छोड़ना होता है, इसलिए दो लोग सीपीआर दें तो बेहतर है। 10 सेकंड में दो बार मरीज को मुंह के जरिए सांस दें।
मिर्गी - दौरा आने पर मरीज को पकड़ने, पानी पिलाने या जीभ को कटने से बचाने के लिए मुंह में चम्मच रखने की गलती न करें। झटके की तीव्रता के कारण मरीज को पकड़ने पर हड्डी टूट सकती है, पानी फेफड़ों में जा सकता है। मरीज के कपड़े फाड़कर उसे ब्रीदिंग स्पेस दें। झटके बंद हो जाते हैं तो मरीज को करवट से लेटा दें ताकि स्वाब फेफड़ों में न जाए।
मिर्गी - दौरा आने पर मरीज को पकड़ने, पानी पिलाने या जीभ को कटने से बचाने के लिए मुंह में चम्मच रखने की गलती न करें। झटके की तीव्रता के कारण मरीज को पकड़ने पर हड्डी टूट सकती है, पानी फेफड़ों में जा सकता है। मरीज के कपड़े फाड़कर उसे ब्रीदिंग स्पेस दें। झटके बंद हो जाते हैं तो मरीज को करवट से लेटा दें ताकि स्वाब फेफड़ों में न जाए।
ट्रॉमा - अकसर लोग चोट लगने पर कुछ सेकंड की बेहोशी, जकड़न या झटके आने के बाद ठीक होने पर डॉक्टर को नहीं दिखाते, जबकि यह किसी गंभीर अंदरूनी चोट के लक्षण होते हैं।
बर्न केस - जले हुए हिस्से में कंबल या मिट्टी नहीं लगाएं, बल्कि मरीज को खुली हवा में ले जाकर ठंडे पानी से घाव को धोएं। आमतौर पर छोटे बच्चों को हल्का-फुल्का जलने पर अस्पताल नहीं ले जाते जबकि उनका छोटा बर्न भी खतरनाक हो सकता है इसलिए तुरंत अस्पताल ले जाएं।
सांप का काटना - 90 प्रतिशत सांपों में जहर नहीं होता, पर लोग डर जाते हैं। सांप के काटने पर बांधने से कोई फायदा नहीं होता, जहर तुरंत ही शरीर में फैल जाता है। इसी तरह खून चूसने से भी जहर नहीं निकलता। पीड़ित को तत्काल अस्पताल लेकर जाएं।
एंटीबायोटिक्स - बिना चिकित्सकीय सलाह के एंटीबायोटिक्स लेने पर शरीर के गुड बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं और दोबारा बीमार होने पर उस एंटीबायोटिक्स का असर भी नहीं होता है।
0 टिप्पणियाँ