काम बड़ा हो तो उसकी तैयारी पुख्ता करनी चाहिए। काम शुरू करने से पहले अपने गुरु, संत-महात्मा की सलाह जरूर लें, तभी सफलता मिलेगी। ये बात श्रीराम के छोटे भाई शत्रुघ्न से सीख सकते हैं। जानिए श्रीराम और शत्रुघ्न से जुड़ा एक किस्सा...
श्रीराम के छोटे भाई शत्रुघ्न से जुड़ा एक प्रसंग काफी प्रचलित है। एक दिन श्रीराम ने शत्रुघ्न को आदेश दिया कि मधुवन नाम की जगह पर एक राक्षस है, जो च्यवन ऋषि के साथ ही अन्य ऋषि-मुनियों को सता रहा है। तुम जाओ और उसका वध करो, इसके बाद तुम वहां का राजा बन जाओगे।
बड़े भाई का आदेश मिलने के बाद शत्रुघ्न मधुवन पहुंचे। शत्रुघ्न को मालूम हुआ कि उस असुर के पास एक अजय शस्त्र है, जिसे पराजित कर पाना असंभव है। इसके बाद शत्रुघ्न च्यवन ऋषि से मिलने पहुंचे। शत्रुघ्न ने ऋषि को प्रणाम किया और कहा कि आप मुझे कोई ऐसा रास्ता बताएं, जिससे मैं यहां आतंक मचा रहे असुर का वध कर सकूं।
च्यवन ऋषि ने शत्रुघ्न से कहा कि आप उस असुर पर तब हमला करें, जब वह भोजन करने जाता है। वो असुर भोजन करने से पहले अपना अजय शस्त्र अपने घर में छोड़ देता है। उसे उसके घर में घुसने से पहले ही मारना होगा। जब वह असुर अजय शक्ति के बिना असावधान दिखे, उस समय तुम उसका वध कर सकते हो।
च्यवन ऋषि की सलाह मानकर शत्रुघ्न ने उस असुर का वध कर दिया। असुर को मारने के बाद शत्रुघ्न श्रीराम के पास पहुंचे और पूरी बात बताई तो श्रीराम बहुत खुश हुए और छोटे भाई मधुवन का राजा घोषित कर दिया।
प्रसंग की सीख
इस किस्से में शत्रुघ्न ने हमें सीख दी है कि बड़ा काम करने से पहले अपने गुरु, संत-महात्मा, विद्वान या किसी अनुभवी व्यक्ति से सलाह जरूर लेनी चाहिए। जब हमें इन लोगों की सलाह के मुताबिक काम करते हैं तो हमें सफलता जरूर मिलती है।
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